मल्लिकार्जुन खडग़े के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद विपक्षी एकता की संभावनाएं बढ़ी हैं। जो राजनीतिक दल राहुल गांधी को पसंद नहीं करते थे, वे भी अब मल्लिकार्जुन खडग़े की बुलाई बैठकों में आने लगे हैं। मल्लिकार्जुन खडग़े के घर पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में 18 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया। लेकिन इन सारे राजनीतिक दलों की लोकसभा में हैसियत 144 सीटों की है। इनमें भी सिर्फ तीन दलों डीएमके, टीएमसी और जेडीयू की सीटें डबल डिजिट में है। बाकी सब सिंगल डिजिट वाले राजनीतिक दल हैं। लोकसभा में 9 सीटों वाली भारत राष्ट्र समिति और 4 सीटों वाली शरद पवार की एनसीपी को भी जोड़ लें तो कांग्रेस समेत इन सभी दलों की हैसियत 127 दलों की है। बाकी 12 दलों के सिर्फ 17 सांसद हैं। तीन पार्टियों का एक एक सांसद है, चार पार्टियों के सांसद ही नहीं हैं। सबसे पहले लोकसभा में 22 सीटों वाली वाईआरएस कांग्रेस, 12 सीटों वाला बीजू जनता दल और 10 सीटों वाली बहुजन समाज पार्टी। तीन सीटों वाली तेलुगु देशम पार्टी, 2 सीटों वाला अकाली दल। पचास सीटों के साथ ये पांच दल अभी तटस्थ हैं। जहां तक शिवसेना का सवाल है, तो शिवसेना के 19 में से 15 सांसद वापस भाजपा के साथ जा चुके हैं। उद्धव ठाकरे के साथ लोकसभा के चार और राज्यसभा के तीन सांसद बचे हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे की बची-खुची शिव सेना ने भी वीर सावरकर के मुद्दे कांग्रेस का बायकाट कर दिया है। राहुल गांधी की राजनीति नासमझी के हर रोज नए सबूत सामने आ जाते हैं। खुद को गांधी बता कर और वीर सावरकर को माफी मांगने वाला बता कर राहुल गांधी ने उस उद्धव ठाकरे को भी नाराज कर लिया, जो भाजपा का साथ छोड़कर उनके साथ आए थे। यह जो 18 दलों का ढिंढोरा पीता जा रहा है, उसकी सच्चाई क्या है। क्या आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति पुरानी बातें भुलाकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन करेंगी। क्या समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी। ये चारों दल गैर भाजपा, गैर कांग्रेस की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में 80 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है और दूसरी सूची भी जारी होने वाली है। इसी तरह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कर्नाटक में कांग्रेस को हराने के लिए जेडीएस के पक्ष में प्रचार करने का एलान किया है, और जेडीएस मल्लिकार्जुन खडग़े की बुलाई बैठक में शामिल नहीं थी। जिस समय मल्लिकार्जुन खडग़े के घर पर बैठक चल रही थी, उसी समय ममता बनर्जी और कुमारस्वामी कर्नाटक में कांग्रेस को निपटाने की रणनीति बना रहे थे। इसलिए मल्लिकार्जुन खडग़े के घर पर हुई बैठक के 144 सांसदों में से तृणमूल कांग्रेस, बीआरएस और समाजवादी पार्टी के 35 सांसद निकाल दीजिए, यानी कुल मिला कर 109 लोकसभा सांसदों के दलों की बैठक थी, 35 सांसदों के दल सिर्फ सहानुभूति प्रकट करने गए थे।