छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले जब यह मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब इस क्षेत्र की पहचान सीधे-साधे भोले-भाले लोगों से थी। आज भी पूरे देश में छत्तीसगढिय़ा पहचान सभी को स्वीकार करने वाले लोगों की है, इसीलिए कहा जाता है छत्तीसगढिय़ा सबसे बढिय़ा। लेकिन राज्य बनने के बाद जाति और धर्म के तुष्टिकरण के राजनीति के चलते समाज में द्वेष और वैमनष्यता बढ़ती गई। पिछले दो वर्षों में ही कवर्धा से लेकर सुकमा और अंबिकापुर से लेकर बेमेतरा तक जातीय और सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है। पिछले कुछ वर्षों में बस्तर के जनजातीय क्षेत्रों में इसाई मिश्नरियों के खिलाफ आक्रोश का माहौल बना हुआ है। कुछ दिन पहले ही नारायणपुर क्षेत्र में एक हिंसक घटना हुई जिसमें पुलिस कप्तान घायल हो गए। कवर्धा में झण्डा विवाद के चलते तनाव बढ़ा था। छत्तीसगढ़ की शांति और सद्भावना पर किसकी नजर लग गई है? राज्य बनने के बाद एक तरफ आर्थिक विकास के चलते पूरे देश से खाने कमाने लोग आ रहे हैं। पिछले कुछ समय से यह आरोप कुछ क्षेत्रों में लग रहा है कि बांगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए छत्तीसगढ़ में अपना ठिकाना बना रहे हैं। जब भी इस बात की चर्चा शुरू होती है तो इसे सत्ता पक्ष राजनैतिक रंग देकर हल्के में लेती है। अभी तक किसी प्रकार की कोई जांच नहीं की गई है। बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में उन्मादी भीड़ ने एक युवक की हत्या कर दी यहां स्थानीय लोग भी इस बात की चर्चा कर रहे है कि उन्माद फैलाने वाले लोग बाहरी हो सकते है। अगर बाहर से आए लोगों के द्वारा प्रदेश के वातावरण को दूषित किया जा रहा है तो प्रदेश पुलिस के गुप्तचर क्या कर रहे हैं? क्या इंटेलिजेंस को इस तरह की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं मिल रही है? अगर मिल रही है तो या फिर वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों तक यह जानकारी पहुंचा नहीं रहे है और यह जानकारी ऊपर पहुंच रही है तो ऊपर से कोई कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं? इससे यह सवाल भी उमड़ता है कि इन सारी घटनाओं को राजनीतिक संरक्षण तो प्राप्त नहीं हैं? प्रशासन भले ही यह दावा करता हो कि बिरनपुर में स्थिति को नियंत्रित कर लिया है और दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन इससे बात बनने वाली नहीं हैं। भारी भरकम पुलिस दल के मौजूदगी के बीच सब कुछ नियंत्रित लग रहा है लेकिन लोगों के दिलो में गांठ बन गई हैं। वैसे ही पिछले कुछ वर्षों में छोटी-छोटी बात पर चाकूबाजी और हत्या की घटनाएं एकाएक बढ़ी है। प्रदेश में सरकार का मुख्य कार्य कानून-व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करना होता है लेकिन प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी हुई लगती है। बिरनपुर में जो हत्या हुई वह कोई अकस्मात घटना नहीं बल्कि पिछले कई माह से पनप रहे विवाद की श्रृंखला का घटक है। इससे सबक लेकर शासन को प्रदेश के सौहद्र्र बिगाडऩे वालों के खिलाफ सख्ती बरतना चाहिए। राजनीति को परे रखकर दोषियों को दण्डित करना चाहिए।