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छत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन

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सामान्य तौर पर माना जाता है कि शासन का मुख्य कार्य जनता को सुरक्षा के साथ सड़क, बिजली-पानी देना है। देश ने हर क्षेत्र में तरक्की की है, गांव-गांव स्कूल और अस्पताले जरूरत पडऩे पर उन्हे एम्बुलेंस शहर भी लाया जा सकता है। सड़क,पुल-पुलिया ने पुरे देश को जोड़ दिया है। बिजली,इंटरनेट जैसी सुविधाएं बस्तर के दुरस्त अंचल तक पहुंच चुकी है,लेकिन स्वच्छ पेयजल अभी भी देश के प्रत्येक व्यक्ति को मुहैया नहीं हो पा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य भारत के हृदय स्थल पर है, यहां मानसून से 13 सौ मिलीमीटर बारिश होती है। इसके बावजूद ऐसी खबरंे मिलती है कि एक बड़ी आबादी जमीन खोदकर झिरीया का पानी पी रही है। माना जाता है कि प्रदूषित जल पीने से बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ में लोग बीमार हो रहे है और मृत्यु भी हो रही है। इसका मुख्य कारण प्रदेश में सालभर बहने वाली नदी का अभाव है। प्रदेश की सबसे बड़ी नदी महानदी है। जिसमें शिवनाथ हसदेव जैसी नदियां आकर मिलती है, फिर वह ओडिशा चली जाती है। प्रदेश में एक समय के बाद नदिया सूख जाती है जिसके अनेक कारणों में मुख्य नदियों पर बने हुए बांध भी है। बांध भी इसलिए बनाये गए है कि आवश्यकता पडऩे पर सिंचाई, निस्तारी और उद्योग के लिए पानी उपलब्ध हो सके। वर्षा का पानी नदियों से मिलकर समुद्र में बह जाता है इसलिए इसे रोकने के लिए प्रदेश में 6 सौ से अधिक एनीकट और बैराज का निर्माण किया गया है। प्रदेश की जनता को जल मिल सके इसके लिए नदियों पर किए गए निर्माण को लेकर ओडिशा को आपत्ति है। उनकी शिकायत है कि महानदी का पानी रोक लेने से ओडिशा राज्य की कृषि एवं अन्य लोग प्रभावित है। छत्तीसगढ़ में पुराने समय से तालाब आधारित जल व्यवस्था का इतिहास रहा है। कोई ऐसा गांव नहीं जहां आधा दर्जन से अधिक तालाब न हो, राजधानी रायपुर में ही एक समय 140 से अधिक तालाब हुआ करते थे धीरे-धीरे इन तालाबों का महत्व कम होता गया जबकि गांव में इन्हीं तालाब के पानी से लोग अपना आवश्यक कार्य करते थे। प्रदेश में भूमिगत जल की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। जहां पर तालाब है वहा पर पानी रिचार्ज होता है और कुंए से पानी मिल जाता है। जहां भूमिगत जल है वहा पर किसान और उद्योगपति अत्यधिक दोहन भी कर रहे है। यही कारण है कि भू-जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। इन परिस्थितियों के बीच में केन्द्र सरकार का जल-जीवन मिशन महत्वपूर्ण है। इस मिशन के तहत प्रदेश के हर गांव में पाइप बिछाकर नल का पानी पहुंचाने की योजना है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने पैसे भी दिए है और यह काम तेजी से चल रहा है। 2024 तक मिशन का काम पूरा करना है, इस सीमा में छत्तीसगढ़ में काम हो पाएगा इसको लेकर संदेह है। एक तो जल-जीवन मिशन में अनियमितता की शिकायतें आ रही है। वहीं पाइप लाइन बिछा देने और नल की टोटी लगाने के बावजूद अभी तक गांवों में पानी नहीं पहुंच रहा है। इसका एक बड़ा कारण पाइप लाइन में पानी पहुंचाने के स्त्रोतों का अभाव है। समन्वय नहीं होने के कारण यह कठिनाई आ रही है। मिशन का काम सफलता पूर्वक हो जाए तो गांव से लेकर शहर तक लोगों को स्वच्छ पेयजल मिल सकेगा।