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असली शराब पीने से होने वाली मौतें

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प्रदेश में शराब लगातार एक राजनीतिक विषय बना हुआ है, 2018 के पहले डॉ. रमन सरकार में शराब की समस्या पर विधानसभा में चर्चा होती थी। ऐसी रिपोर्ट आती रहीं जिसमें कहा गया छत्तीसगढ़ शराब पीने में अव्वल राज्य है। दूसरी ओर सरकार ने शराब की पूर्ण बंदी के स्थान पर आंशिक बंदी का रास्ता निकाला और पहले 500 की आबादी और उसके बाद 1000 की आबादी वाले गांवों में शराब की दुकानें बंद कर दी गई। इसका असर यह हुआ कि कोचिए गांव में जाकर शराब का अवैध कारोबार करने लगे। भारत माता वाहिनी का गठन किया गया, गुलाबी गैंग की महिलाओं ने शराबियों के खिलाफ हाथ में लाठी लेकर मोर्चा खोल दिया। कुल मिलाकर शराब की सामाजिक बुराई को देखते हुए इस पर अंकुश लगाने की मांग महिलाओं की ओर से आती रही क्योंकि वे ही इस नशे की सबसे ज्यादा भुक्तभोगी हैं। माहौल को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया। सरकार बनी लेकिन चार साल के बाद शराबबंदी करने में सरकार हिचक रही है। एक तरफ एक समिति का गठन किया गया है जिसकी अब तक कोई रिपोर्ट नहीं मिल पाई है दूसरी ओर मुख्यमंत्री स्पष्ट यह कह रहे हैं कि प्रदेश में सरकार शराबबंदी नहीं करेगी। इसके लिए तर्क यह दिया जा रहा है कि शराबबंदी के बाद नशे के आदी नकली शराब पियेंगे और उनकी मौत होगी। इसका उदाहरण कोरोना काल में लॉकडाउन के समय शराब नहीं मिलने के कारण स्पिरिट या सेनेटाइजर पीने से हुई दो लोगों की मृत्यु को बताया जा रहा है। लेकिन शराब नहीं मिलने से कितने शराब के आदी इस नशे से दूर हो गए थे, इसकी कोई रिपोर्ट सरकार के पास नहीं होगी? इससे इतर जो अपराध और दुर्घटनाओं में मौतें असली शराब पीने के कारण हो रही है, क्या सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड है? समाचार पत्र में शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब शराब पीने के लिए पैसे के लिए, शराब पीने के बाद नशे में लड़ाई होने के कारण हत्याओं की खबरें नहीं छपती। एक बेटे ने अपने माता-पिता और दादी की हत्या शराब की लेट के चलते कर दी। क्या यह मौतें शराब के कारण नहीं हो रही हैं। सरकार पर 2000 करोड़ रूपए के शराब घोटाले के आरोप लग रहे हैं, ये आरोप राजनीतिक नहीं बल्कि प्रवर्तन निदेशालय ईडी की छानबीन के बाद कोर्ट में हलफनामा देते हुए हुए लगाए गए हैं। इस बात पर सरकार पीठ थपथपा सकती है कि शराब से आबकारी राजस्व बढ़ रहा है। लेकिन इस कमाई के पीछे कितने परिवार का दर्द छुपा है, उसका आंकलन कौन करेगा? सरकार को चाहिए कि शराबबंदी न सही, शराब के कारोबार, बिक्री की मात्रा को नियंत्रित तो करे।