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गौ और गोठान पर राजनीति

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भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल बीत गए, अब लग रहा है कि जिन आदर्शोँ को लेकर स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर किया था, उनके साकार होने का समय आ रहा है। महात्मा गांधी गौ और गोठान को अहमियत देते थे, आज छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में गाय, गोबर और गोठान की चर्चा हो रही है। देश में रामराज्य की चर्चा हो रही है, गौहत्या रोकने की बात मुख्यमंत्री कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद नरवा-गरवा-घूरवा-बारी का नारा दिया और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कार्यक्रम संचालित किए गए। इसके तहत प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों में गोठान बनाने का निर्णय लिया, इसके पीछे उद्देश्य तो सड़कों पर घूमने वाले मवेशियोंं को एक जगह इका करने का था। उद्देश्य के पूरा नहीं होने के बाद इस योजना में गोबर खरीदने का निर्णय लिया गया। तब से अबतक यह योजना चल रही है। खरीदे गए गोबर से स्व सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कंपोस्ट और अन्य उत्पाद बनाने का निर्णय शामिल किया। लेकिन सरकार के इस योजना को अधिकारियों ने ठीक से अमल नहीं किया और कई गोठान समिति के अध्यक्ष और सरपंचों ने मिलीभगत कर भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया। वैसे तो सरकार के इस फ्लैगशिप योजना के लिए बजट में कोई का प्रावधान नहीं किया गया फिर भी डीएमएफ, पंचायतों की राशि, सीएसआर के पैसे सहित अनेक योजनाओं के फंड का उपयोग किया गया। सरकार दावा करती है कि लगभग 11 हजार गोठान बनाए गए हैं, लेकिन कई तो आकार तक नहीं ले पाए। कुछ जगह गोबर की पर्याप्त खरीदी हो रही है, वहां स्व सहायता समूह भी अच्छा काम कर रहे लेकिन ज्यादातर गोठनों में सब सन्नाटा है। शासन के अनुसार अब तक गोबर खरीदने वाले लोगों को करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है इसी तरह स्व सहायता समूह को भी करोड़ों रूपए की राशि मिल चुकी है लेकिन 11 हजार गोठान बनाने में 1500 करोड़ रूपए से अधिक का खर्च हो चुका है। ऐसे में गोठान बनाने के पैसे को गौपालकों में बांट देते तो प्रत्येक की हिस्से में ज्यादा राशि मिलती। गौपालन को बढ़ावा मिलता और रही बात गोबर बेचने वालों की तो उसे गोठान में बेचने के बजाय पंचायत खरीदकर वर्मा कंपोस्ट बनाकर बेचे तो अच्छी आमदनी हो सकती है। मवेशी को इका रखने का उपयोग तो गोठान आ नहीं रहे। फिर भी गोठान की योजना गलत नहीं थी, इसके क्रियान्वयन में गड़बड़ी हुई है। इसमें भ्रष्टाचार भले ही ना हो लेकिन सरकार के पैसे का दुरुपयोग तो हुआ है।