Home इन दिनों नोटबंदी 2.0 से जमाखोरों को लगेगा झटका

नोटबंदी 2.0 से जमाखोरों को लगेगा झटका

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भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते दिनों घोषणा की कि वह दो हजार रुपये के सभी नोटों को प्रचलन से वापस ले रहा है और आगामी 30 सितंबर तक इसे बैंक से बदला जा सकता है। अभी जो दो हजार रुपये के 10.8 फीसदी नोट प्रचलन में हैं, वे किनके पास हैं? रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2023 तक 33.5 लाख करोड़ रुपये के नोट प्रचलन में थे। बैंकों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, उनमें से 1.03 लाख करोड़ रुपये बैंकों के पास हैं। इसलिए बैंकों के पास प्रचलित नोटों का मात्र तीन फीसदी से थोड़ा ज्यादा हिस्सा है, बाकी करीब 97 फीसदी नोट आम लोगों के पास हैं। यानी जनता के पास 3.51 लाख करोड़ रुपये के बराबर दो हजार रुपये के बैंक नोट होंगे। रियल एस्टेट, निर्माण, थोक व्यापार और ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी नकदी का उपयोग प्रचलित है। इसलिए इनमें से अधिकांश दो हजार रुपये के नोट इन क्षेत्रों के कारोबारियों के पास होंगे। बड़ा सवाल यह है कि यह कदम क्यों उठाया गया और वह भी इस समय क्यों। मार्च, 2018 से बैंकों को 2,000 रुपये के नोट जारी न करने का निर्देश दिया गया था। जब इन नोटों को बैंकों में जमा किया गया, तो इन्हें चुपचाप रिजर्व बैंक को वापस भेज दिया गया और अर्थव्यवस्था में पुन: परिचालित नहीं किया गया। मार्च, 2018 के बाद 2,000 रुपये के नए नोट नहीं छापे गए। इस तरह दो हजार रुपये के नोटों का प्रचलन घट गया। रिजर्व बैंक ने इसके पीछे तीन कारण गिनाए हैं-पहला, इन नोटों का उपयोग दैनिक लेन-देन में नहीं किया जाता है। दूसरा, जरूरतें पूरी करने के लिए छोटे मूल्यवर्ग के नोटों की उपलब्धता पर्याप्त है और तीसरा, नकदी के उपयोग को यूपीआई और डिजिटल भुगतान के व्यापक उपयोग द्वारा पूरा किया जा रहा है। नवंबर, 2016 में रातोंरात 86 फीसदी भारतीय मुद्रा के विमुद्रीकरण के बाद से अर्थव्यवस्था की प्रगति को देखें, तो 12 मई, 2023 तक नोटों का प्रचलन वास्तव में 17.74 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 34.58 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यानी ‘कैशलेस’ अर्थव्यवस्था की ओर बढऩे के बजाय, अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह पिछले साढ़े छह वर्षों में दोगुना हो गया है। भले ही छोटे लेन-देन यूपीआई और ई-कॉमर्स जैसे डिजिटल भुगतान नेटवर्क में स्थानांतरित हो गए हैं, पर अर्थव्यवस्था में नकदी में लगभग सौ फीसदी वृद्धि को देखते हुए यह स्पष्ट है कि काले धन के खिलाफ लड़ाई को और अधिक कठोर तथा नवीन बनाने की आवश्यकता होगी। यह रिजर्व बैंक का एक सुविचारित कदम है, जिससे दो हजार रुपये के नकदी जमाखोरों को झटका लगेगा। अर्थव्यवस्था में काले धन के खतरे को कम करने के लिए भ्रष्ट और आपराधिक तत्वों से सख्ती से निपटने की जरूरत है।