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कर्नाटक में महाराष्ट्र जैसा बदलाव

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महाराष्ट्र में एनसीपी पर कब्जे को लेकर शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार की लड़ाई जारी है। इस बीच, कर्नाटक में भी सियासी उठापटक के दावे होने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने दावा किया है कि एक महीने के अंदर महाराष्ट्र की तरह ही कर्नाटक में भी बड़ा उलटफेर होगा। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने भी कहा है कि कर्नाटक में कुछ भी हो सकता है। इसमें अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। कुमारस्वामी और येदियुरप्पा के इस बयान ने सियासी गलियारे में खलबली मचा दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या सच में कर्नाटक में सरकार गिर सकती है? अगर हां तो ये कैसे होगा? 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 का है। इस वक्त भाजपा के 66 और जेडीएस के 19 विधायक हैं। दोनों मिलकर भी कुल 85 के आंकड़े तक पहुंचेंगे। यह आंकड़ा 113 का काफी कम है। ऐसे में भाजपा और जेडीएस का गठबंधन होने कांग्रेस सरकार को कोई खास खतरा नहीं हैं। कुमारस्वामी और येदियुरप्पा दोनों ही महाराष्ट्र में एनसीपी की तरह कर्नाटक में कांग्रेस में फूट पडऩे का दावा कर रहे हैं। अगर ऐसा कुछ होता है तो सियासी उटलफेर संभव है। हालांकि, संख्याबल के लिहाज से ये महाराष्ट्र के मुकाबले कठिन होगा। कर्नाटक में कांग्रेस के पास 135 विधायक हैं। एक निर्दलीय विधायक ने भी अपना समर्थन दिया है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 113 विधायकों का समर्थन चाहिए होता है। मतलब कांग्रेस के पास अभी बहुमत के आंकड़े से 23 सीटें अधिक हैं। महाराष्ट्र में जिस तरह का बिखराव शिवसेना के साथ हुआ वैसी टूट के लिए कम से कम 90 विधायकों को बागी खेमे में आना होगा। तभी बागी गुट के विधायक दल-बदल कानून से बच पाएंगे। 2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी थी। कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। एक साल बाद ही कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायकों ने बगावत कर दी। बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद कुमारस्वामी को इस्तीफा देना पड़ा। और राज्य में भाजपा की सरकार बनी। बागियों ने बाद में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। ज्यादातर को जीत मिली। साथ ही राज्य में भाजपा की सरकार बरकार रही। इस बार ऐसा कुछ होने के लिए बहुमत के आंकड़े को कम से कम 89 तक आना होगा। क्योंकि कांग्रेस के अलावा अन्य सभी दलों के विधायकों की संख्या 89 है। ऐसा तभी संभव है जब कांग्रेस के कम से कम 58 विधायक अफनी विधायकी से इस्तीफा दे दें।