संसार में भारत अकेला ऐसा देश है जिसका इतिहास यदि सर्वोच्च गौरव से भरा है तो सर्वाधिक दर्द से भी। यह गौरव है पूरे संसार को शब्द, गणना और ज्ञान विज्ञान से अवगत कराने का। और दर्द है निरंतर आक्रमणों और अपनी धरती के हुये विभाजन का। बीते ढाई हजार वर्षों में 24 और 1873 से 1947 के बीच केवल सत्तर सालों में सात विभाजन हुये । अंतिम विभाजन करोड़ो लोगों के बेघर होने और लाखों निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या के साथ हुआ। आज स्वतंत्र भारत का जो स्वरूप और सीमा हम देख रहे हैं उसका भूगोल अतीत के गौरव का दस प्रतिशत भी नहीं है । वैदिक संस्कृति से आलोकित इस भूभाग का नाम कभी जंबूद्वीप था। जिसका स्मरण आज भी पूजन संकल्प में होता है जंबूद्वीपे भरत खंडे आर्यावर्ते.. पर यह अब केवल इतिहास की पुस्तकों तक ही सिमिट गया। समय के साथ भारत कभी आर्यावर्त है तो कभी भारतवर्ष भी रहा। हिमालय इसके मध्य में था। यदि हम बहुत पुरानी बात न करें केवल 1876 के बाद की बात करें तो 1876 से 1947 के बीच कै कुल इकहत्तर वर्षों में भारत के कुल सात विभाजन हुये और भारत का दो तिहाई हिस्सा पराया हो गया। अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यामार आदि सब इसी अवधि में भारत से अलग हुये। इसकी भूमिका 1857 की क्रान्ति से बन गई थी। अंग्रेजों के शासन का सिद्धांत “बाँटों और राज करो” था। इसलिए उन्होंने विशाल भारतीय साम्राज्य को बांटना आरंभ किया और चारों ओर बफर स्टेट बनाना आरंभ किया। 1876 में अफगानिस्तान को भारत से अलग किया, 1906 में भूटान को, 1935 में श्रीलंका को, 1937 में वर्मा यनि म्यांमार और 1947 पाकिस्तान के रूप में भारत की धरती पर एक नये देश का उदय हुआ। जो 1971 में विखंडित होकर पाकिस्तान के भीतर से बंगलादेश का उदय हुआ। 1857 की क्रांति भले असफल हो गई थी पर इसके बाद अंग्रेजों ने अपनी सत्ता को सशक्त और स्थाई बनाने के अनेक उपाय किये। पुलिस आदि की व्यवस्था करके न केवल जाति धर्म और भाषा के नाम से विभाजन आरंभ किया अपितु देशात्मक सत्ता के रूप में विभाजन आरंभ किया। ताकि यदि किसी एक क्षेत्र में कमजोर होते हों तो दूसरे क्षेत्र की सेना से नियंत्रित कर सकें। इसीलिये उन्होंने भारत के विभाजन की शुरुआत की। 1876 में भारत का कुल क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किलोमीटर था। जो धीरे-धीरे घटकर अब केवल 33 लाख वर्ग किलोमीटर रह गया। यनि यदि पुराने इतिहास की बात न करें केवल 1874 से 1947 के बीच की बात करें तो इसी अवधि में भारत का पचास लाख वर्ग किलोमीटर धरती पराई हो गयी। भारत का अंतिम विभाजन 14 अगस्त 1947 को हुआ। इसलिये भारत में 14 अगस्त अखंड भारत दिवस के रूप में मनाया जाता है।