रायपुर में पिछले दिनों (11 अगस्त,2023 ) को बड़ी सुंदर और प्रेरक घटना घटित हुई। एक लाख से अधिक स्कूली बच्चों ने अन्य देशप्रेमी नागरिकों के साथ राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ का समूह -गायन किया। इसी के साथ राज्य गीत ‘अरपा पैरी के धार’ का भी समूह-गान प्रस्तुत किया गया। इस तरह एक साथ दो कीर्तिमान बने। ‘मेरी शान, वंदे मातरम्’ नामक आयोजन ने पूरे प्रदेश में देशभक्ति की लहर-सी फैला दी। प्रात:काल से ही स्कूली बच्चे तिरंगेवाली पोषक में प्रभात फेरी करते हुए साइंस कॉलेज मैदान पहुँचे और वहाँ वन्देमातरम का समूह गायन किया। रैली में अनेक बहनें छत्तीसगढ़ महतारी बनी हुई थीं. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड बनाने के लिए हुआ यह अभूतपूर्व आयोजन सिद्ध करता है कि जन-जन के मन में देशभक्ति की भावना कूट- कूट कर भरी हुई है। बच्चे जब सड़कों पर विभिन्न महापुरुषों के मेकप के साथ वंदे मातरम और भारत माता की जयघोष करते हुए निकल रहे थे, तो रास्ते चलते दर्शक भी उनका साथ दे रहे थे। तब मुझे राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की पंक्तियाँ याद आ रही थी,”वंदना के इन स्वरों में, एक स्वर मेरा मिला लो/ हो जहाँ बलि शीश अगणित, एक सर मेरा चढ़ा लो!” कभी दिल्ली में कुछ भटके युवकों ने नारा लगाया था, ”भारत तेरे टुकड़े होंगे”. उन नादानों को छत्तीसगढ़ के लाखों बच्चो द्वारा वन्देमातरम गायन करना एक तरह से करारा ज़वाब ही कहा जा सकता है। हालांकि वंदे मातरम के गायन का विश्व रिकार्ड दूसरे राज्यों में भी बनता रहा है, और सिलसिला जारी रहना चाहिए। रायपुर में स्वतंत्रता दिवस के चार दिन पहले हुए इस आयोजन से हर बच्चे के मन में देशप्रेम की भावना का और अधिक संचार होगा। इस देश के हर बच्चे के मन में इसी तरीके से देशप्रेम की भावना का संचार हो सकता है। बच्चों को यह भी बताना है कि केवल गिनीज बुक के लिए ही कीर्तिमान नहीं बनाना है। हमारी दिनचर्या में वन्देमातरम और भारत माता की जय शामिल होना चाहिए। बहुत हो गया हैलो या हाउ डू यू डू. हमें अपने अभिवादन में जयहिंद, वन्देमातरम या भारत माता की जय शामिल करना चाहिए। जब हमारी प्रतिदिन की स्मृति में भारत माता या देश रहेगा तो हमारी पीढ़ी भ्रष्टाचार नहीं करेगी। हर व्यक्ति अपना काम ईमानदारी से करेगा। इसमें दो राय नहीं की आज़ादी का अमृत महोत्सव तक पहुँचते-पहुंचते देशप्रेम की भावना कुछ कम तो हुई है, इसीलिए देश की राजधानी में भारत को तोडऩे की बात हुई। लेकिन परम संतोष की बात है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी में भारत माता को प्रणाम करने के नारे लगे. और इस नारे को लगाने में सभी धर्मों के बच्चे शामिल थे. यही एकता भारत की ताकत है। किसी भी राष्ट्र की सच्ची प्रगति देशभक्ति की उदात्त भावना के कारण होती है। दुनिया के अनेक देश अगर आज प्रगति के शिखर पर दिखाई देते हैं तो उसके पीछे उस देश के एकनिष्ठ लोगों का अटूट राष्ट्रप्रेम ही बड़ा कारण रहा है। छत्तीसगढ़ के लाखों बच्चों द्वारा एक साथ वन्देमातरम गाना और भारत माता की जय कहना उनके जीवन की यादगार घटना बन गई है। वे 11 अगस्त के दिन को कभी ही भूल सकेंगे और देश के सच्चे नागरिक बन कर पूरी ईमानदारी के साथ भारत माता के प्रगति सहायक बनेंगे। अंत में गयाप्रसाद शुक्ल स्नेही की इन पंक्तियों के साथ बात ख़त्म करूँगा कि च्जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रस धार नहीं/ वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।ज् जाति, संप्रदाय से ऊपर देशभक्ति होनी चाहिए। देश का सवाल आए तो धर्म को भी त्याग दें। यही देशभक्ति है।