देश में स्थानों, स्मारकों और भवनों के नाम पर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है। दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया है। अब नेहरू मेमोरियल को पीएम मेमोरियल के नाम से जाना जाएगा। नाम बदलने पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। विपक्षी पार्टी ने मोदी सरकार पर नेहरू की विरासत को नष्ट करने का आरोप लगाया है। एडविन लुटियंस की इंपीरियल कैपिटल का हिस्सा रहा तीन मूर्ति भवन अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर इन चीफ के जाने के बाद 1948 में तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास बन गया। पंडित नेहरू 16 साल तक इस घर में रहे और यहीं पर उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद इस तीन मूर्ति भवन को पंडित नेहरू की याद में उन्हें समर्पित कर दिया गया और इसे पंडित नेहरू म्यूजियम एंड मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। अब केंद्र सरकार ने इसका नाम नेहरू मेमोरियल से बदलकर पीएम म्यूजियम एंड सोसाइटी कर दिया है। वर्तमान में यहां व्याख्यान और सेमिनार नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं और विद्वानों के विचार-विमर्श प्रकाशित होते हैं। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र के नेहरू मेमोरियल के नाम बदलने वाले फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा, एक प्रतिष्ठित संस्थान को एक नया नाम मिला है। विश्वभर में प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी अब प्राइम मिनिस्टर्स मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम से जाना जाएगा। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और उनकी विरासत को नकारना, बदनाम और नष्ट करना है। वह एन शब्द हटाकर उसके स्थान पर पी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। जयराम ने कहा कि देश की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदारवादी नींव रखने में नेहरू की योगदान को हम नहीं भूलने देंगे। नेहरू ने देश की आजादी के लिए अहम योगदान दिया है। तमाम आरोपों के बीच पीएमएमएल के कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश का बयान आया है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी को महसूस हुआ कि देश में पीएम का एक संग्रहालय होना चाहिए। फिर सवाल उठा कि यह कहां बनाया जा सकता है। इस पर फैसला लिया गया कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सही जगह है। साल 2016 में पीएम मोदी ने एक प्रस्ताव रखा था कि तीन मूर्ति परिसर में देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। उसी साल 25 नवंबर को हृरूरूरु की 162वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बीते साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था।