रायपुर दक्षिण विधानसभा के उपचुनाव की घोषणा का भले ही कहीं अतापता ना हो लेकिन सभी दलों की तैयारियां इतनी तेज हैं कि देखते ही बनता है। सालों साल एक ही हाथों में खेलती यह महत्वपूर्ण सीट अब तक भाजपा के दिग्गज व दबंग सदैव चर्चा में रहने वाले चर्चित नेता बृजमोहन अग्रवाल को अपना नेता चुनती आई है। इस बार मामला कुछ और हो गया है अब वे प्रदेश की राजनीति से बाहर नई दिल्ली की राजनीति में देश के सितारे बनने की राह पर हैं। रायपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं। तब प्रदेश की विधान सभा में उनकी दबंग आवाज से सदन चकित रहता था। अब उनकी आवाज छत्तीसगढ़ की समस्याओं की आवाज बन कर देश की संसद में गूंजती है। उनके सांसद चुने जाने से राजनीति के प्रादेशिक राजनीति के खिलाड़ी शायद यह मानने लगे थे कि अब प्रदेश में उनकी आवाज की गूंज सुनने को नहीं मिलेगी, देखा यह जा रहा है कि आज भी वे हर जगह, हर मामले में सक्रिय दिखाई देते हैं। हर कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी आज भी उन्हें चर्चा में रखती है। अखबार का कोई पन्ना नहीं होगा जहां रायपुर के किसी कार्यक्रम की तस्वीर प्रकाशित हो और प्रमुखता से उनका चेहरा ना दिखे। जनता के बीच अपनी मौजूदगी बनाए रखने की उनकी विशिष्ट कला व लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता में एक पैसे की भी कमी नहीं देखी जा रही है। उनके लोगों की अपनी परम्परागत टीम उन्हें कहीं भी चर्चा में ले आने में कामयाब है। आज भी उद्घाटन,लोकार्पण,भूमि पूजन ,नियुक्ति का उनका क्रम थमा नहीं है। आये दिन ऐसे कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति से वे प्रदेश के नेताओं को मात देते दिखाई दे जाते हैं। शायद ही आसपास के किसी संसदीय क्षेत्र के सांसद को इतना सक्रिय देखा जाता होगा। जनसेवा के लिए तत्पर दिखाई देने में उनका सानी नहीं है। प्रदेश में सीमेंट के दाम 50 रुपये बढे, तो उन्होंने तत्काल इसका खुला विरोध कर अपनी ही पार्टी को परेशानी में डालने में कोई गुरेज नहीं की। बयान दिया कि इससे सरकार व पार्टी की छवि धूमिल होगी। लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी। विपक्षी दलों को हथियार मिल गया विपक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री टैक्स लगाया गया है। कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह कि बृजमोहन अग्रवाल का वजन आज भी उतना ही कायम है जितना हुआ करता था। इसलिए रायपुर दक्षिण सीट पर उनके सलाह बिना कोई प्रत्याशी घोषित हो जाएगा ऐसा लगता तो नहीं। दोनों प्रमुख दलों में कवायद जारी है। कांग्रेस मान कर चल रही है कि बृजमोहन नहीं हैं तो यह सीट अब हमारी है। यह किन्हीं मायनों में सच भी है कि बृजमोहन की अपनी व्यक्तिगत छवि भी सबसे बडा कारण था कि वे दक्षिण विधानसभा के गढ़ के अजेय योद्धा बने रहे। बड़े बड़े कांग्रेसी योद्धाओं को यहां उन्होंने धूल चटा दी।वे हमेशा क्रम से बढ़ते विजयी वोटों में इजाफा करतेव रहे। अब बृजमोहन का अभाव नये समीकरण तय करेगा। उनकी मैदान में अनुपस्थिति से इस सीट पर कांग्रेस टिकट के लिए दावेदारों की सूची लंबी हो चुकी है। प्रत्येक कांग्रेसी कार्यकर्ता उत्साहित हैं कि अगर टिकट मिल जाए तो जीत पक्की है। उसी तरह भाजपा कार्यकर्ता इस सीट को अपनी परम्परागत विजयी सीट मान कर दावेदारी का आवेदन कर रहे हैं। उनमें भी भीड़ काफी है। भाजपा की टिकट या कांग्रेस की टिकट किसको मिलेगी ,अभी यह कहना तो सिर्फ अनुमान ही लगाना माना जाएगा। यह तय है कि बृजमोहन की लोकप्रियता के बरकरार रहने के मायने साफ हैं कि भाजपा संगठन उनकी मंशा के विरुद्ध जाकर कुछ करे तो जीत पर शंका के बादल घिरेंगें, इसकी संभावना ज्यादा बताई जा रही है। प्रत्याशी अगर बृजमोहन की पसंद का होगा तो तो जीत की सम्भावना पक्की मानी जाएगी। मैनेजमेंट के माहिर खिलाड़ी बृजमोहन हर हाल में जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देंगें। कहा जा सकता है कि भाजपा की मजबूरी है कि वो प्रत्याशी चयन में बृजमोहन अग्रवाल को पूरा महत्व दे। इधर कांग्रेस में यह कवायद चल रही है कि प्रत्याशी ऐसा हो कि हर हाल में यह सीट कांग्रेस की झोली में आये यह पक्का हो। सब दिग्गज यह मान रहे हैं कि अगर दक्षिण की यह विधान सभा सीट कांग्रेस जीत जाए तो कांग्रेस के लिए यह भविष्य में राजनीतिक संजीवनी साबित होगी। हार से हताश निराश पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होगा। सारे कांग्रेसी छत्रप इस भावी संभावना को समझ रहे हैं। अन्य मामलों में भले ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में मतभेद हों पर इस मामले में किसी में मनभेद होगा इसकी संभावना नहीं लगती। भाजपा व कांग्रेस उप चुनाव की घोषणा के पहले ही सारी तैयारियां कर लेना चाह रही हैं। चुनाव की घोषणा हो और प्रत्याशी का नाम तत्काल सामने आ जाए। प्रारम्भिक तैयारी से यही लगता है। देखना है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता एक मत से किसी का नाम तय कर पाते हैं या नहीं। भाजपा बृजमोहन अग्रवाल की मंशा के अनुरूप टिकट देती है या अपनी चौंकाने वाली पद्दति अपना कर किसी अप्रत्याशित नाम को सामने लाने का रिस्क उठाती है। जीत-हार इसी पर तय होगी।