Home बाबू भैया की कलम से मतपत्र या ईवीएम? कांग्रेस ने कहा करेंगें भारत यात्रा

मतपत्र या ईवीएम? कांग्रेस ने कहा करेंगें भारत यात्रा

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प्रत्येक चुनावों के परिणाम के बाद इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन पर प्रश्न चिन्ह लगता ही लगता है। हार ही मशीन पर उंगली उठाने को मजबूर करती है। उच्चतम न्यायालय ने हालांकि इस बात से इनकार करते हुए इसे रोकने से साफ मना किया अर टिप्पणी भी की,कि जहां हार होती है वहां ईवीएम में गड़बड़ी और जहां जीत गए वहां ईवीएम ठीक कैसे हो सकती है। जनता में तो यह बात हर बार शंका के रूप में चर्चा में सामने आती ही है। अब तो अनेक सामाजिक व राजनैतिक पार्टी ने दबे जुबान में ईवीएम के परिणाम पर शंका जाहिर की है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तो खुले तौर पर बहुत साफ शब्दों में मांग खड़ी करते हुए कहा भी है कि फिर से बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं। इसके लिए भारत जोड़ो अभियान की तर्ज पर नया अभियान चलाया जाएगा। मतपत्रों से चुनाव की मांग तब उठाई गई है,जब अभी हाल झारखंड व महाराष्ट्र में चुनाव तथा अनेक रज्यों में उपचुनाव हुए हैं। कुछ सीटों पर कांग्रेस आई जरूर लेकिन सामान्य रूप से चल रही जनहवा के कहीं कहीं विपरीत परिणाम देख कर कांग्रेस ने यह बात उठाई है। कार्यकर्ताओं व नेताओं के फीडबैक एकदम फेल होने से ही यह शंका उपजी है। 19-20 का फर्क समझ में आता है ,पर जिस तरह के परिणाम महाराष्ट्र में आये पार्टी के आंतरिक सर्वे में उसकी दूर दूर तक संभावना नहीं थी।कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह कैसे संभव है कि एक जगह मशीन ठीक है और दूसरी जगह गलत ? इस टिप्पणी पर ईवीएम के विरोधियों ने कुछ ऐसे विचार व्यक्त किये कि एक जगह सही एक जगह गलत का जवाब यह है कि जो भी गड़बड़ी होती है उसी राज्य में होती है जहां के परिणाम से केंद्र की सरकार को झटका लग सकता है।सरकार कमजोर हो गई का संदेश जा सकता हो। झारखंड में शायद इसीलिए छोड़ दिया गया ताकि कोई महाराष्ट्र के परिणाम पर उंगली न उठा सके। तर्क तो तर्क है। चर्चा चल पड़ी कि ऐसी गड़बड़ी है जरूर जो किसी के समझ में नहीं आ रही कि ,यह हो कैसे रहा है ? बहरहाल किसी आम आदमी या किसी सामाजिक संगठन ने नहीं बल्कि आज के दिन देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के मुखिया मल्लिकार्जुन खरगे ने यह बात जोरशोर से उठाई है कि चुनाव मतपत्रों से होना चाहिए,इसके लिए फिर भारत जोड़ो यात्रा की तरह यात्रा अभियान चलाया जाएगा देश भर में इस बात को बहस का मुद्दा बन कर जनता की राय भी सामने आ जाएगी। परिणामों से बुद्धिजीवी वर्ग के साथ सर्वे करने वाली मीडिया भी हतप्रभ है कि सर्वे इस कदर फेल कैसे हो रहे हैं। मीडिया हतप्रभ जरूर है पर बात को मुद्दा बनाने से उसे परहेज क्यों है ,यह समझ में नहीं आ रहा है। कुछ ईवीएम समर्थक द्वारा अपने तर्कों में साफ कहा जाता है कि ईवीएम में किसी प्रकार की छेड़छाड़ किसी हालत में संभव ही नहीं है। कैसे हो सकती है जब परिणाम के दौर में सभी दलों के लोग मौजूद होते हैं और सबके सामने मशीने दिखाई जाती हैं। सील दिखाई जाती हैं। स्ट्रांग रूम में पहरे होते हैं। सभी दलों की नजर लगी होती है। इस तर्क के जवाब में तर्क आता है कि ,यह एआई का युग है ,आवाजें व चेहरे की कॉपियां हो जातीं हैं। बड़ी बड़ी ठगी हो जाती है, तो इस आधुनिक युग में इलेक्ट्रानिक मशीनों में भी कुछ भी किया जाना संभव है। अपने अपने तरीके से अपनी अपनी बातें लोग ईवीएम के पक्ष -विपक्ष में सामने लाते रहते हैं। चुनाव आयोग सबूत माँगता है। सबूत कोई प्रस्तुत नहीं करता। अभी तक तो नहीं ही कर पाया है। अखबारों के बयानों तक सीमित है। चर्चा भी हर चुनाव के बाद ही होती है। पिछली बार भूपेश सरकार की पूरी संभावना होने के बाद भी छतीसगढ़ में वापसी ना होना। हरियाणा में हवा के विपरीत परिणाम। अब महाराष्ट्र में भी इसी तरह माहौल के विपरीत परिणाम ने फिर इस मुद्दे को बहस में बदल दिया है। संजय राउत ने तो अभी हाल के परिणाम के दिन ही कह दिया था कि ये परिणाम जनता जनार्दन के नहीं है। जनता के मूड के विपरीत परिणाम है। मैं इस परिणाम को नहीं मानता। अब तो इसे कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रमुख खरगे ने व्यापकता देदी है। अब पूरे भारत में इसका हल्ला मचेगा,जनता के बीच मशीनों पर शंका जाहिर की जाएगी। चर्चाएं-बहस चलेगी, सबमें तो शंका है लेकिन किन्हीं अखबारों व टीवी में भी शायद चर्चा हो जाए। जनता जनार्दन इस विषय पर व्यापकता से सोचे। सच क्या है यह समझने का प्रयास करे। प्रचार प्रसार व राजनीति के इस कांग्रेसी दांव का जवाब भाजपा नेतृत्व क्या व कैसे देगा यह समय पर पता चलेगा। लेकिन एक बात जनसाधारण के मन में है जरूर कि , जब ईवीएम समर्थक कहते है कि सब सही है ,कोर्ट ने भी इसी लाइन में अपना फैसला दिया है, तो फिर क्यों ना एक बार मतपत्रों से ही चुनाव करा दिया जाए और सदा सदा के लिए इस विवाद को समाप्त कर दिया जाए। साबित करवा दिया जाए कि मतपत्र के चुनाव भी हमारे पक्ष में ही हैं। ईवीएम पूरी तरह पाक साफ हैं और अब इस पर कभी चर्चा नहीं होगी।