Home बाबू भैया की कलम से प्रशासन के हवा हवाई प्रतिबंध और टूटती बंदिशे, ऐसी क्या मजबूरी

प्रशासन के हवा हवाई प्रतिबंध और टूटती बंदिशे, ऐसी क्या मजबूरी

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अंग्रेजी वर्ष 2024 की बिदाई और 2025 के आगमन का जश्न बड़े धूमधाम से पूरे देश के साथ छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी मनाया गया। प्रशासन ने शासन के आदेश पर अनेक प्रतिबंध राजधानी के बड़े लोगों के होटलों पर लगाए। जो हश्र उन आदेशों का राजधानी में हुआ,वही हश्र प्रदेश के सभी होटलों में हुआ ही होगा। सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबंध था शराब परोसने का समय, यह तय किया गया था कि 12 बजे रात के बाद शराब नहीं पिलाई जाएगी। 10 बजे के बाद डीजे नहीं बजाया जाएगा। नाबालिगों को शराब नहीं दी जाएगी। लेकिन हुआ क्या? रात भर शराब दी गई,डीजे तब तक बजता रहा जब तक लोग झूमते रहे। सुबह की रोशनी कब आई किसी को होश नहीं। नाबालिगों को धड़ल्ले से शराब परोसी गई। सारा नजारा देख कर तो ऐसा लग रहा था कि होटल मालिकों को किसी का कोई डर ही नहीं था। सच भी है कि ”सैयां भये कोतवाल तो डर काहे काÓÓ अनेक होटल मालिकों से सरकार में बैठे दिग्गजों से सीधी पहचान ,संबंध और दोस्ती जग जाहिर है। जब सरकार ही अपनी व अपनों की हो तो डरने का प्रश्न ही नहीं है। रोकने – देखने का अधिकार जिन्हें था वे दिखावा करने गए जरूर , पर शायद चढ़ावा लेकर चले आये कुछ तो वहीं पार्टी का हिस्सा भी बन गए। इसी बहाने परिवार को भी बड़े होटल का दर्शन करा दिया। रात गुलजार होती रही ,मय के प्याले टकराते रहे,पर्दादारी भी समाप्त हो गई। सरकार में बैठे लोगों ने अपने परिवार में नववर्ष मनाया,किस तरह मनाया,यह उनका निजी जीवन का मामला है। उसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं है। लोग चर्चा करते रह गए कि शराबबंदी की हिमायती पार्टी की सरकार होने के बाद होटलों को शराब पिलाने की अस्थाई अनुमति क्यों और किस नियम की तहत दी गई,क्या मजबूरी थी। 80 लोगों ने अनुमति मांगी थी। किस नियम की तहत अस्थाई अनुमति दी गई किसी के समझ में नहीं आया। 80 में से 70 को ऐसी शर्तों के साथ अनुमति दी गई जिसका पालन किसी ने भी नहीं किया। 10 को किस कारण छोड़ दिया? मॉनिटरिंग क्या हुई? नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई? अनुमति देकर आंख बन्द क्यों व किस कारण की गई। ये सारे प्रश्न अनुत्तरित ही रहेंगें। किसी पर कार्यवाही हुई इस बात का पता लगाना भी मुश्किल काम है। प्रतिबंध के बाद भी इतना खुला खेल कैसे खेला गया ? यह समझने वाली बात है। अब रात गई बात गई वाली कहावत सच्चाई में बदली जाएगी। लोग कहते हैं , जब शासन -प्रशासन के पास बंदिशों को लागू करने की शक्तियां नहीं है,तो ऐसी बंदिशों को लागू ही क्यों करती है। गणेश – दुर्गा पूजा की झांकियों के दौर में भी बंदिशों को लागू करने में शासन-प्रशासन असफल रहा था। कहा गया कि कानफोड़ू डीजे का शोर नहीं होगा फिर जो हालात देखे गए ,वो सबके सामने हैं। डीजे की कानफोड़ू आवाज जानलेवा साबित हो चुकी है। एक बुजुर्ग की मौत डीजे की भारी धमक के कारण हुई थी। प्रशासन ने कड़ाई का निर्णय लिया पर कड़ाई कर नहीं पाई। प्रशासन को चंद दिग्गजों की सिफारिशें भारी पड़ गईं। वही हुआ जो होना था ,डीजे की आवाजों ने फिर अनेकों के दिल की धड़कनों को तेजी से धड़काने का काम किया। इस बार फिर नए साल के जश्न के पहले अनेक बंदिशें लगाने का सरकारी ऐलान हुआ,अखबारों में प्रचार हुआ कि प्रशासन ने कड़ाई करने का कड़ा निर्णय लिया है। किसी को कोई छूट का मौका नहीं दिया जाएगा। प्रशासन दावे करता रहा और लोग उसे तोड़ते दिखाई दिए। शासन -प्रशासन लाचार देखता रह गया,जो होना था वो धड़ल्ले से हुआ। पांच हजार से एक लाख तक के एंट्री पास इन होटल ,रिसोर्ट,रेस्टोरेंटों में खुले आम बेचे गए। सरकार के खजाने में एक पैसा भी टैक्स का नहीं आया। कोई देखने झांकने भी नहीं आया। जीएसटी का कहीं आता पता नहीं, सब फ्री। जानकारी के अनुसार ललित महल में 2699 रु. मेरा रिसोर्ट में 10000 रु.,होटल हयात में 10000 रु.,होटल बेबीलोन में 5500 रु.,कोर्टयार्ड मेरियट में 10000 रु., होटल सयाजी में 5000 रु. और भी अन्य होटलों रेस्टोरेंट व रिसोर्ट में जनता से जम कर राशि वसूली गई। वो भी पास बेचकर। सरकारी विभागों की नजर होते हुए भी कुछ नहीं किया गया। लाखों रु. के टैक्स का नुकसान सरकार के खजाने को हुआ है। कौन इसकी भरपाई करेगा। बिना पास कहीं भी एंट्री नहीं दी गई। धड़ल्ले से पैसा लिया गया ,वो भी काउंटर से पास बेचकर लिया गया। कहीं भी मुफ्त एंट्री नहीं दी गई। आबकारी,जीएसटी,प्रशासन व पुलिस प्रशासन की टीम कहीं भी जांच करने नहीं घुसी या घुसने से रोकने की व्यवस्था कर दी गई थी,यह समझने वाली बात है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब बंदिशें लागू करने में पहले भी शासन -प्रशासन असमर्थ दिखाई दे चुकी हैं,तो ऐसी बंदिशों का प्रचार प्रसार करके अपनी पीठ क्यों थपथपाती हैं। जो कुछ भी चल रहा है वैसे भी तो चल ही रहा है। यानी जो है वो तो हइये है।