पटना। वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव का 75 साल की उम्र में गुरुवार देर रात निधन हो गया। शरद यादव का जन्म मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ। लेकिन राजनीति में उनकी कर्मस्थली बिहार बनी। शरद यादव के नाम एक और खास रिकॉर्ड दर्ज है। वह यह है कि वह ऐसे नेता रहे हैं जो 3 राज्यों से सांसद बने। बिहार के मधेपुरा सीट से वह 4 बार सांसद चुने गए। इमरजेंसी के दौरान राजनीति में कद्दावर नेता के तौर पर उभरने वाले शरद यादव अपनी बात को मजबूती से कहने के लिए जाने जाते रहे हैं। सड़क से लेकर संसद तक वह आम जनता की आवाज को उठाते रहे। बिहार की राजनीति में काफी लंबा समय देने वाले शरद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी भी खूब सुर्खियों में रही। हालांकि एक वक्त यह भी आया कि जब नीतीश कुमार और शरद यादव के रास्ते अलग-अलग हो गए। शरद यादव ने नीतीश कुमार का साथ छोड़कर लोकतांत्रिक जनता दल बना लिया था। लेकिन यह टकराव की स्थिति क्यों आई, यह हम आज आपको बताएंगे।
शरद यादव राजनीति में काफी लंबे समय तक सक्रिय रहे। सियासत की बुलंदियों तक पहुंचने वाले शरद यादव की लोकप्रियता इतनी थी कि कभी उनसे मिलने के लिए बड़े-बड़े नेताओं तक तो समय लेना पड़ता था। शरद यादव लोकदल और जनता पार्टी से अलग होकर बने पार्टियों में लंबे समय तक रहे। इन्हीं पार्टियों में से एक है जनता दल यूनाइटेड जो फिलहाल नीतीश कुमार की वजह से जानी जाती है। शरद यादव काफी लंबे समय तक जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। नीतीश कुमार के सियासी कामयाबी में शरद यादव का भी अहम योगदान रहा है। लालू के सामने नीतीश को खड़ा करने में भी शरद यादव की भूमिका अहम रही। शरद यादव ने तो 1999 में मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से लालू यादव को भी हराने में कामयाबी हासिल की थी। इतना ही नहीं, शरद यादव 2013 तक भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के संयोजक भी रहे।
लेकिन 2013 के बाद शरद यादव के लिए स्थितियां बदलने लगी। 2013 में नीतीश कुमार ने भाजपा से संबंध तोड़ने का फैसला लिया। उस वक्त शरद यादव नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थे। बाद में 2015 में शरद यादव और नीतीश कुमार ने लालू यादव के साथ महागठबंधन में हिस्सा बनना स्वीकार किया। यह वह वक्त था जब जदयू 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हार चुकी थी। लेकिन 2017 में एक बार फिर से नीतीश कुमार भाजपा के साथ चले गए। तब नीतीश के इस फैसले का विरोध शरद यादव ने खुलकर किया। इसी के बाद शरद यादव को जदयू से अलग होना पड़ा। शरद यादव को राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके लिए खुद जदयू की ओर से पत्र लिखा गया था।
हालांकि इसके बाद एक 2 वर्षों तक वह विपक्षी दलों के मंच पर दिखाई देते रहें। लेकिन उनकी स्वास्थ्य लगातार खराब होते जा रही थी। उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल बनाई। लेकिन बिहार में इसे उतनी अच्छी सफलता नहीं मिल पाई। बाद में लालू यादव शरद यादव के साथ खड़े हुए। लोकतांत्रिक जनता दल का आरजेडी में विलय हुआ। आखिरी दौर में लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों ने ही शरद यादव का बखूबी सहयोग किया। लालू यादव फिलहाल सिंगापुर में इलाज रत हैं। बावजूद इसके उन्होंने एक वीडियो के जरिए शरद यादव को श्रद्धांजलि दी है।