राजधानी रायपुर में पिछले कुछ दिनों से रविशंकर विश्वविद्यालय और विज्ञान महाविद्यालय के बीच निर्माणाधीन चौपाटी का राजनीतिक विरोध हो रहा है। पूर्व मंत्री राजेश मूणत वहां रात-दिन धरने पर बैठे हैं। उनका मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों के बीच चौपाटी खोलने से वातावरण दूषित होगा। इधर नगर निगम के महापौर ने दावा किया है कि चौपाटी निर्माण का प्रस्ताव पूर्व की भाजपा सरकार के समय से चल रहा है। यह निर्माण स्मार्ट सिटी योजना के तहत कराया जा रहा है। चौपाटी का विरोध करने वालों का कहना है कि यह स्थान छात्रों का है, इसलिए यहां ओपन लाइब्रेरी बने तो ज्यादा बेहतर है। तमाम बातों को समझते हुए कुछ व्यवहारिक बातों की ओर ध्यान देना जरुरी है। पहली बात तो यह है कि अब से लगभग 12-15 साल पहले इस सड़क का चौड़ीकरण किया गया था। जिसके अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों की भूमि शामिल हो गई थी। लेकिन इसके बाद वहां सौंदर्यींकरण किया गया और गौरवपथ का नाम दिया गया। आज वहां क्या स्थिति है? सड़क चौड़ी तो हो गयी है लेकिन सड़क के दोनों किनारे फेरी लगाने वाले व्यापारी कब्जा कर चुके है। ग्राहक वहीं खड़े होकर जब खरीदारी करते है तो चौड़ी की गई सड़कों का कोई मायने नहीं रहता। वहीं आयुर्वेदिक और संस्कृत महाविद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक सड़क के दोनों ओर खाने-पीने की वस्तुएं बेचने वालों का रेला लगा है। शाम के समय यहां इतनी भीड़ हो जाती है कि सड़क चौड़ीकरण के बावजूद ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती है। 2012 में स्ट्रीट वेन्डर्स कानून पारित हुआ था जिसके तहत शहरों में एक निश्चित स्थान पर ही ठेेले और खोमचे लगाकर व्यापार कर सकते है। अगर विश्वविद्यालय के पास चौपाटी बन जाती है तो इससे सड़क किनारे खाने-पीने के ठेले लगाने वाले का व्यस्थापन हो जाएगा। लेकिन नगर निगम को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि उसके बाद सड़क के किनारे ठेले-खोमचे वाले खड़े न हो। अगर इस शर्त पर चौपाटी का निर्माण होता है तो कोई बुराई नहीं है। जहां तक चौपाटी बनाने से वहां के शैक्षणिक वातावरण पर असर पडऩे का सवाल है तो सौ के करीब ठेला-खोमचा लगाने वालों के कारण तो असर वैसे भी पड़ रहा है। एक व्यवहारिक बात यह भी है कि महाविद्यालयों और लाइब्रेरी में पढऩे वाले ह•ाारों छात्रों के खाने-पीने की भी व्यवस्था कोई होनी चाहिए। बाजार का नियम है जहां ग्राहक मिलेंगे वहां दुकानें तो सजेंगी ही। यह दुकानें व्यवस्थित रुप से सजे इसका ख्याल रखना चाहिए।