विगत दो-ढाई वर्षों से छत्तीसगढ़ सरकार यह प्रचारित कर रही है कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर देश भर में सबसे कम है। यहां तक कि पिछले कुछ माह से छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर शून्य के करीब है। दूसरी ओर 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर जनता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के बेरोजगारों को ढाई हजार रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की है। अभी कितने बेरोजगारों को भत्ता मिलेगा, संख्या तय नहीं है। हालांकि रोजगार कार्यालयों में दर्ज बेरोजगारों की संख्या 19 लाख के करीब है। प्रदेश में 2 करोड़ 90 लाख के आसपास की जनसंख्या वाले राज्य में अगर 19 लाख रोजगार कार्यालय में दर्ज है तो प्रदेश में बेरोजगारी की दर लगभग शून्य कैसे है यह समझ से परे है। प्रदेश में एक और नई समस्या देखने को मिल रही है पिछले 5-6 वर्षों से प्रदेश में स्थापित इंजीनियरिंग महाविद्यालय बंद हो रहे है और जो चल रहे है वहां पर भी छात्र प्रवेश नहीं ले रहे है। इस शैक्षणिक वर्ष में प्रदेश में कुल 11 हजार 500 के करीब इंजीनियरिंग की सीट थी। जबकि केवल 35 सौ छात्रों ने प्रवेश लिया। 7 हजार 900 इंजीनियरिंग के डिग्री लेने वाली सीटें रिक्त रह गई। यही हाल प्रदेश में पॉलिटेक्निक संस्थाओं का है। इस वर्ष छत्तीसगढ़ की कुल पॉलिटेक्निक की सीटें 8664 में केवल 19 सौ सीटें ही भर पाई। याने 75 प्रतिशत इंजीनियर और पॉलिटेक्निक की सीटें भर नहीं पा रही। इस कारण कॉलेज और संस्थाएं बंद हो रही है। सीटें नहीं भरने का कारण तो अनेक है जिसमें पहला महाविद्यालयों में रोजगारपरक गुणवत्तायुक्त शिक्षा का अभाव है, कुकुरमुत्ते की तरह खुले निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में न तो पढ़ाने वाले योग्य शिक्षक है और न ही प्रयोग करने की सुविधाएं। दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि प्रदेश में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक की डिग्री और डिप्लोमा करके निकले विद्यार्थियों को नौकरी नहीं मिल रही है। छत्तीसगढ़ के उद्योगों में लाखों रुपए खर्च कर डिग्री लेने वाले इंजीनियरों को 10-12 हजार की नौकरी मिलती है और मेहनत 12 घंटे की। 2017-18 के बाद देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था कभी यह असर रहा कि प्रदेश में बड़े उद्योग नहीं लग पा रहे है, जो है वह भी जैसे-तैसे चल रहा है। उद्योगों का विकास नहीं होने से इंजीनियरों की मांग कम हो गई है। शासन भले ही औद्योगिक नीति बना ले लेकिन उद्योगों को प्रदेश में आकर्षित करने के लिए स्वच्छ प्रशासन और सुविधापूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ाने के साथ औद्योगिक संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करना होगा। प्रदेश का विकास सही अर्थों में तभी होगा जब यहां उद्योग खुलेंगे, व्यवसाय बढ़ेगा और प्रदेश के युवाओं को अधिकाधिक नौकरी मिलेगी।