Home बाबू भैया की कलम से कोयला व शराब छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए बने अभिशाप

कोयला व शराब छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए बने अभिशाप

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कोयला और शराब छतीसगढ़ के लिए वरदान के साथ अभिशाप बन गए प्रतीत हो रहे हैं। वरदान इसलिए हैं, कि इनके माध्यम से राजस्व की बड़ी आय सरकार के खजाने में आती है। अभिशाप इन मायनों में कि इस माध्यम से राजस्व के साथ निजी राजस्व वसूली के सुराग प्रवर्तन निदेशालय को मिले हैं। कोयला की जांच में अब तक अनेक आईएएस व शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे अन्य अधिकारी जेल के सींखचों के पीछे पहुंचा दिए गए हैं। अनेकों पर नजर है। कल ही इनमें से छतीसगढ़ के 6 कांग्रेसी नेताओं पर ईडी ने हाथ डाला। पता चला है कि अब कोयला के साथ शराब की अवैध कमाई को भी ईडी ने लक्ष्य बना लिया है। छापा पडऩा कोई एतराज की बात नहीं है, क्योंकि माना जाता है कि ईडी देश की बेहद शक्तिशाली ,अधिकारों से सम्पन्न संस्था है। जब भी वह किसी पर हाथ डालेगी तो सबूत इक_े करने के बाद ही डालेगी। यह भी देखा गया है कि ईडी ने अब तक कि गई जांच या छापों में दो-तीन दिनों तक पूछताछ की है। कल के छापों कहें या जांच प्रक्रिया कहें तीन बजे रात तक सभी नेताओं के यहां सम्पन्न हो गई। पूछताछ के बाद फिलहाल तो सभी छोड़ दिये गए। छापों के दौरान कांग्रेस जनों ने सभी प्रताडि़त हो रहे नेताओं के निवास पर उपस्थिति देकर अपने तीखे तेवर भी दिखाए। ईडी पर उसका कुछ असर पड़ा हो ऐसा दिखाई तो नहीं दिया , लेकिन समझ में आया कि कांग्रेस जनों के तेवर व आक्रोश की तेजी देख कर भविष्य में कुछ अप्रिय घट जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। दरअसल कांग्रेस जनों के बीच तो यह सवाल पहले से है ही ,अब तो जनता के बीच भी यह चर्चा सुनी जाने लगी कि वाकई क्या बेईमानी सिर्फ कांग्रेसी ही कर रहे हैं ? क्या देश प्रदेश के सभी भाजपाई नेता दूध के धुले हुए हैं। कोई भी बेईमान नहीं हुआ ? क्या भाजपाई सरकारों वाले प्रदेशों में पूरी तरह रामराज्य वो भी 100 प्रतिशत ईमानदारी के साथ चल रहा है ? यह प्रश्न जनचर्चा में विचारों की ऊंचाई पर जरूर तैर रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खुद सीधा आरोप लगाकर ईडी की कार्यवाही पर शंका पैदा कर दी है । आरोप लगा कर कहा है कि क्या ईडी को डॉ.रमनसिंह सरकार के दौर का नान घोटाला, हेलीकाप्टर मामला ,धान घोटाला की जांच नहीं करनी चाहिए ? आरोप यह भी लगाया कि यहां जो भी किया जा रहा है, सब भाजपा की केंद्र सरकार व भाजपा के स्थानीय नेताओं के इशारे पर हो रहा है ? प्रमाण के रूप में उन्होंने कहा कि रमन सिंह ने प्रेस को दिए बयान में पहले दिन जो जो कहा दूसरे दिन हूबहू वही बात ईडी के अधिकारियों ने कही,ये क्या दर्शाता है ? क्या यह नहीं लगता कि ईडी के लिए रमनसिंह प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं। पहले ही उस बात को कह देते हैं, जो ईडी को कल कहना है। लोगों में इस बात की भी भरपूर चर्चा है कि कहीं यह कांग्रेस के महाधिवेशन को अनिश्चितता में डालने का भाजपा का प्रयास तो नहीं। ठीक तीन दिन पहले कोष पर नियंत्रण रखने वाले कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल पर हाथ डालने के प्रयास को इसी नजरिये से देखा जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं ने भी यही बात बार बार कही है। लोग इस दृष्टिकोण से सोच भी रहे हैं।
लोगों में यह भी चर्चा है कि ईडी को अपनी निष्पक्षता के लिए 2003 से अब तक के कार्यकाल में कोयले व शराब में किसने कितनी दलाली ली है। ? वे कौन लोग हैं? इस दिशा में काम करना चाहिए था तब कोई भी हल्ला होना संभव नहीं होता। ईडी को इस बात से क्या लेना देना है कि कोयला की दलाली या कमीशन खाने वाला भाजपा का है या कांग्रेस का? उसे सब पर हाथ डालना था। यह भी कि कोयले की दलाली व कमीशन का काम प्रदेश के गठन के दौर से लोग सुनते आ रहे हैं। चर्चा थी तो कुछ न कुछ सच्चाई भी होगी । किसी भी बात की यूं ही चर्चा नहीं होती। रमन सरकार के तीसरे कार्यकाल में रायगढ़ में हुए भाजपा के सम्मेलन में रमनसिंह ने भाजपाइयों से कथित रूप से कमीशन बंद करने की बात की थी। वो कौन से कमीशन की बात थी? यह भी सवाल उठ रहे हैं।
ईडी की कार्यवाही पर कोई कुछ नहीं कहना चाहता भ्रष्टाचार जिसने किया उसे सजा मिले,सब यही चाहते हैं। ईडी के तौर तरीके व एकतरफा दृष्टिकोण के कारण यह स्वाभाविक शंकाएं उभर रही हैं कि , यह केंद्र सरकार की कांग्रेस की प्रदेश सरकार से बदला लेने की अथवा आगामी चुनाव को मद्देनजर व महाधिवेशन को बाधा पहुंचने की कोशिश के सिवाय कुछ नहीं है। एक नेता के विरोध प्रदर्शन करने पर ईडी के अधिकारी ने कह भी दिया कि हम उपर के आदेश पर काम कर रहे हैं। अब यह ऊपर वाला कौन हैं ? उनके विभागीय आला अधिकरी या केंद्र सरकार के सम्बंधित मंत्रालय सम्हालने वाले केंद्रीय मंत्री ? जनता को जो समझना हो समझ ले।