Home इन दिनों कांग्रेस की आर्थिक नीति में बदलाव

कांग्रेस की आर्थिक नीति में बदलाव

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रायपुर में कांग्रेस पार्टी के 85वें महाधिवेशन हो रहा है। इस अधिवेशन में मुख्य 6 विषयों पर चर्चा की जाएगी एवं प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। बैठक के पहले दिन देशभर के प्रदेश कांग्रेस की इकाई और राष्ट्रीय संगठन के पदाधिकारियों का जमावड़ा हुआ। पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी भी रायपुर पहुंचे। पहले दिन 6 विषय चिन्हित किए गए जिन पर अगले 2 दिनों तक चर्चा होगी और उन पर प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। बैठक की जानकारी देते हुए प्रवक्ता जयराम रमेश ने बताया कि देश में कांग्रेस पार्टी अपने आर्थिक प्रस्ताव में निजीकरण का विरोध करेगी। खासकर सार्वजनिक उपक्रम को बेचने का विरोध किया जाएगा। आश्चर्य की बात है कि जिस कांग्रेस पार्टी ने आज से 32 साल पहले 1991 में नेहरुवादी आर्थिक नीति को पीछे छोड़ते हुए उदारीकरण और निजीकरण की नीति को आत्मसात किया था, अब वापस नेहरुवादी अर्थव्यवस्था की ओर लौट रही है। निजीकरण की शुरुआत 1993 में आज से 30 वर्ष पूर्व हुई थी। इसे विनिवेश की नीति कही गयी। 1993 से 2005 तक पहले कांग्रेस उसके बाद एनडीए की सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने का सिलसिला प्रारंभ किया। 1991 की औद्योगिक नीति में ऐसे उद्योग जो केवल सरकार लगा सकती थी या जिनके लिए लाइसेंस लेना पड़ता था उस सूची को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में अब कांग्रेस पार्टी अगर पब्लिक सेक्टर की निजीकरण की बात कर रही है तो क्या 1991 में उदारीकरण नीति के तहत और पूरे सेक्टर को बढ़ावा देने और उद्योगों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की नीति की ओर भी लौटेगी? 1951 में जब पंचवर्षीय योजना प्रारंभ की गई थी तब पं. नेहरु ने समाजवादी दृष्टिकोण को सामने रखते हुए मिश्रित अर्थव्यवस्था को देश की तरक्की का आधार बनाया था। 1951 से 1991 तक पंचवर्षीय योजना के माध्यम से ही देश के विकास का खाका खींचा गया। 1991 में उदारीकरण की नीति आ जाने के बाद पंचवर्षीय योजनाओं का ज्यादा महत्व रह नहीं गया था। योजना आयोग देश में परिसंघीय व्यवस्था और उदारीकरण नीति के तहत आर्थिक विकास के लिए बाधा रहा। यही कारण था कि 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जब एनडीए की सरकार बनी तो योजना आयोग को समाप्त कर उसके स्थान पर नीति आयोग का गठन किया गया। अब जब कांग्रेस पार्टी कॉर्पोरेट और निजीकरण का विरोध करने प्रस्ताव के माध्यम से करने जा रही है तो यह सवाल उठना जायज है कि क्या कांग्रेस भविष्य में पुन: योजना आयोग के गठन और पंचवर्षीय योजनाओं को प्रारंभ करेगी?