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प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीद

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में घोषणा की है कि आगामी धान खरीदी के मौसम में प्रति एकड़ 15 क्विंटल के स्थान 20 क्विंटल धान सरकार खरीदेगी। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान उन्होंने घोषणा की थी कि आगामी खरीफ सीजन के धान को 28 रु. प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। यह घोषणा इस मायने में अच्छी है कि किसानों को उनकी फसल का अधिक से अधिक मूल्य मिल रहा है और एक-एक दाना धान की खरीदी सरकार करेगी। लेकिन इन दोनों घोषणा के बीच में एक अंतर आ रहा है। अभी राज्य सरकार धान को केंद्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 2040 रु. की दर से ही खरीद रही है। लेकिन किसानों को जो फायदा हो रहा है वह राजीव गांधी न्याय योजना के तहत 9000 रु. प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी मिलने के कारण है। अभी प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान की खरीदी हो रही है तो प्रति क्विंटल 600 रु. का अतिरिक्त लाभ किसानों को रहा है। अब मुख्यमंत्री किसानों को फसल का 2800 रु. प्रति क्विंटल देना चाहते हैं और प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान भी खरीदना चाहते हैं, तो इसका मतलब है कि केंद्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य के ऊपर प्रति क्विंटल इनपुट सब्सिडी घटकर 450 रु. हो जाएगी। अगर ऐसा है तो शीघ्र भूपेश सरकार यह भी घोषणा करने वाली है कि प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी में भी बढ़ोत्तरी की जाएगी और यह बढ़ोत्तरी 5 हजार रुपए प्रति एकड़ होगी, तब किसानों को 2800 रु. प्रति क्विंटल की दर से भाव मिलेगा। एक दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है सरकार प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदना चाहती है लेकिन क्या प्रदेश में पैदावार धान की इतनी है भी? अभी बजट सत्र में जारी सरकारी आंकड़े के मुताबिक प्रति हेक्टेयर धान की उत्पादकता 35 क्विंटल से थोड़ा ज्यादा है। अगर 20 क्विंटल के हिसाब से धान का उत्पादन देखे तो प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल धान का उत्पादन करना होगा। राज्य बनने के बाद कभी 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन नहीं हुआ। दूसरी ओर प्रदेश सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहती है इसीलिए गौठानों में गोबर खरीदकर उसका वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है और यह वर्मी कम्पोस्ट प्रति एकड़ 30 बोरी लेना अनिवार्य है। सभी जानते है कि रसायनिक खाद का उपयोग नहीं करने से उत्पादन कम होता है फिर 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी सरकार कैसे करेगी? इसका मतलब है कि आसपास के राज्यों से धान की तस्करी को बढ़ावा मिलेगा। तस्करी तो अभी भी हो रही है इसकी मात्रा का आंकलन करना कठिन भले ही है लेकिन कई एजेंट करोड़ों, अरबों रुपए धान की अवैध तस्करी से पैसा कमा रहे हैं। इससे राज्य सरकार को हानि होती है और यह भार राज्य की जनता पर पड़ता है। इसीलिए सरकार को नए सिरे से विचार करना चाहिए।