Home बाबू भैया की कलम से ओटीटी प्लेटफॉर्म का भारतीय संस्कृति पर हमला, रक्षा करो

ओटीटी प्लेटफॉर्म का भारतीय संस्कृति पर हमला, रक्षा करो

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राज्य व देश की सरकारें दोनों ही युवाओं के कल्याण की बहुत बातें करती हैं। उन्हें अगले चुनावों में इनके समर्थन की बहुत जरूरत भी पड़ेगी। कारण भी कोई छोटा नहीं बहुत बड़ा है। आज नए युवा वोटरों की संख्या सरकार पलटने की ताकत पा चुकी है। जिस दल ने इन पर ध्यान नहीं दिया उसका तो बस भगवान ही मालिक होगा। कांग्रेस ने तो बाकायदा राहुल गांधी के माध्यम से अपने दल को युवा बताते हुए प्रोग्रेस करने की बड़ी कोशिश भी की है। देश का आधा चक्कर पैदल घूम कर,यह बताने का प्रयास भी किया कि आज भी कांग्रेस ऊर्जा से भरपूर पार्टी है। कुछ सफलता भी मिली थी, पर अचानक उनकी आंतरिक राजनीति ने पलटी मारी और 80 साल के बुजुर्ग को पार्टी की कमान देकर युवा वर्ग में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी। बावजूद इसके राहुल गांधी की सक्रियता आज भी युवाओं के बड़े वर्ग को प्रभावित कर रही है। इससे नकारा नहीं जा सकता। कांग्रेस को लाभ हो ना हो यह भविष्य पर निर्भर है लेकिन लाभ का प्रयास तो भरपूर किया जा रहा है। भाजपा हो ,”आप” हो या अन्य कोई भी दल सभी युवाओं का गुणगान कर रहे हैं। कोई 2 करोड़ रोजगार देने की बात तो कोई लाखों बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की बात करके और अनेक दल अपने अपने प्रलोभनों के माध्यम से युवाओं को लुभाने का प्रयोजन कर रहे हैं। कोई भारतीय संस्कृति का ध्वज हाथ में लेकर हिन्दू संस्कृति की रक्षा करता हुआ दिखाई दे रहा है,तो कोई जो कुछ देश में हो रहा है, सब ठीक है कि स्वतंत्रता का समर्थक बन युवाओं के मार्ग में बाधा बनना ही नहीं चाहता। युवा जो चाहे करें वे उनके पक्ष में ही बोलते हैं। वे जानते हैं कि बड़ा वोट बैंक तो अगले चुनाव में यहीं है। कोई भी दल किन्ही भी कारणों से इनके किसी भी कृत्य को गलत नहीं बताना चाहता। वास्तव में जब भी किसी की भी सरकार बनती है, चाहे वो राज्य में हो , या केंद्र में, वो युवाओं की बात तो बहुत करती है लेकिन साधन के अभाव में प्रभावी ढंग से कर कुछ नहीं पातीं। यह कटु सत्य है जरूर लेकिन मानते कोई भी नहीं। सभी कहते हैं हमने युवाओं के लिए बहुत कुछ किया है। जो किया उसका प्रचार भी उनके जनसंपर्क विभाग से जोरदार ढंग से किया जाएगा। हो क्या रहा है , हुआ क्या है ? वो सिर्फ सरकारें जानती हैं, और वे युवा जो इनसे प्रभावित होते हैं। जनता कभी इसका सच नहीं जान पाती। बस पोस्टर बैनर में सरकार की तारीफें पढ़-देख कर भ्रम में पड़ी रहती हैं। टीवी डिबेट में राजनैतिक दलों के प्रवक्तागण अपने आपको ही सच्चा बताने की होड़ करते रहते हैं। श्रोता कभी नहीं समझ पाते कि आखिर सच कौन बोल रहा है। निष्पक्षता के पक्षधर बन कर डिबेट का हिस्सा बनने वाले पत्रकार व समीक्षक भी अपने बयानों के आधार पर पहचाने जाते हैं, उन्हें भी आजकल कांग्रेसी व भाजपाई मान कर मानसिकता बना ली जाती है। बचा ही कौन जो जनता को सच का दर्शन कराए , सच्चा लगे ? जनता के सामने सब गड्ड मड्ड हो गया है। किसकी माने किसकी नहीं। राजनैतिक माहौल दिनों दिन खराब होता जा रहा है। सब अपने अपने एजेंडे के कारण सिर्फ वोटों पर नजर रखे हुए हैं।
नैतिकता,संस्कृति की रक्षा,निष्ठा,ईमानदारी,समर्पण जैसे शब्द सिर्फ और सिर्फ चर्चा में रह गए हैं। युवाओं पर पूरी नजर रखने वाली पार्टियां किन मायनों में उनकी रक्षा कर पा रहीं हैं। कोई बता नहीं पा रहा हैं। देश भर में नशे का बड़ा कारोबार खड़ा हो गया है। हम उसे ड्रग माफिया का नाम दे चुके हैं। कई बंदरगाहों में करोड़ों की नशीली दवाएं व नशे में प्रयोग की जाने वाली जान ले सकने वाली ड्रग पकड़ी जा रही हैं। पकड़ा जाना तो मीडिया बता भी देता है। कार्यवाही क्या हुई नहीं बता पाता। समझ यह बनती है कि कहीं ना कहीं मजबूर है। कभी कभी तो लगता है कि मीडिया में फॉलोअप का जमाना ही खत्म सा हो गया है। सिर्फ उसी खबर को आगे बढ़ाया जाता है जिसमे लाभ हानि का खाता जुड़ा रहता है , जनता तो अब यही मानती है। सब जानते हैं, युवा ही सबसे बड़ा नशे से प्रभावित होने वाला वर्ग होता है। शहरी संस्कृति में जीने वालों का तो जीवन ही भारतीय संस्कृति से दूर जाता दिखाई देने लगा है। कथित पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित लोग इस जीवन पध्दति को सही भी ठहराने लगे हैं। अब तो सबसे बड़ी समस्या तारों(केबल) के जरिये घर घर में घुस गई है। भारतीय संस्कृति का इसके प्रभाव में कबाड़ा ही होने लगा है। इसका नाम दिया गया है, ओटीटी प्लेटफॉर्म। कैसी कैसी फिल्में कैसे कैसे सीरियल इस प्लेटफॉर्म में दिखाई जा रहीं है उफ्फ। दुनिया भर में बोले जाने वाली सभी गालियां,भद्दे शब्द जो आप अपने बड़ों व बच्चों के सामने सुन भी नहीं सकते। वो धड़ल्ले से व पल पल में सुने-सुनाए जा रहे हैं। वो भी सपरिवार। कहाँ गई हमारी भारतीय संस्कृति और हमारी पारिवारिक मर्यादाएं, हमारी पवित्र आस्थाएँ, हमारा धर्म, हमारी पारिवारिक पवित्रता ? अब तो स्थिति ऐसी है कि इसको रोकने का प्रयास करने वाले नुकसान में रहेंगें, यह कहा जाने लगा है। इस अपसंस्कृति में युवा डूब रहे हैं, इसी में रमते जा रहे हैं। जो जो उसमें दिखाया जा रहा है, जो कहा जा रहा है ,जो परोसा जा रहा है,जो पिलाया जा रहा है, उसमें कहीं भी हमारे भारतीय संस्कृति की रंच मात्र भी झलक नहीं । तो क्या भारत का भविष्य युवा वर्ग भारत को पश्चिमी देशों की संस्कृति में ढाल देंगें और हम सब दर्शक मात्र रह जाएंगे? देश में भारतीय संस्कृति के रक्षकों की सरकार है,उत्तर प्रदेश में एक ऐसे योगी की सरकार है जिसे भारतीय संस्कृति का प्रतीक माना जा रहा है। क्या ये भी ओटीटी के मामले में कुछ नहीं बोलेंगे। बोलिये साहब कुछ तो बोलिये अन्य से तो हमें कोई उम्मीद नहीं आप तो बोलिये। सब मौन हो जाएंगे तो देश की संस्कृति की रक्षा कौन करेगा?