मणिपुर में बीते कुछ समय से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच एक भीषण हिंसक संघर्ष चल रहा है। यहाँ से हाल ही में दो महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ का एक वीडियो हमारे सामने आया, जिसने पूरे देश का सिर शर्म से झुका दिया। इस वीडियो ने हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी व्यथित कर दिया और उन्होंने इस घटना को 140 करोड़ भारतवासियों को शर्मसार करने वाला बताया। साथ ही, यह भी आश्वस्त किया कि इस घटना के आरोपियों को किसी भी सूरत में बख़्शा नहीं जाएगा। आज यह एक जगजाहिर तथ्य है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में मणिपुर, असम से लेकर त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों ने विकास, शांति और समृद्धि के नये आयामों को हासिल किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने केन्द्रीय सत्ता में आते ही ‘एक्ट ईस्टÓ नीति को हमारे सामने लाया, जिसके माध्यम से उनका प्रयास भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ बेहतर राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को विकसित करना है। उनके इस प्रयास से कभी शेष भारत से बिल्कुल कटा हुआ महसूस करने वाले पूर्वोत्तर के राज्य आज हमारे विकास के ‘प्रवेश द्वारÓ और ‘अष्ट लक्ष्मीÓ के रूप में अपनी एक विशेष पहचान स्थापित कर चुके हैं। लेकिन, मणिपुर हिंसा जैसी घटनाओं से पूर्वोत्तर क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक विकास को लेकर हो रहे सभी प्रयासों पर निश्चित रूप से बेहद नकारात्मक असर पड़ेगा और ऐसी घटनाएं दोबारा न हो हमें यह सुनिश्चित करना होगा। हालांकि, इतने संवेदनशील मुद्दे को लेकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने जिस प्रकार का रवैया दिखाया है। वह वास्तव में बेहद दु:खद और खतरनाक है। उन्हें यह समझना होगा कि यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा है और इस पर किसी प्रकार की राजनीति कतई नहीं होनी चाहिए। विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं, कि उन्होंने आखऱि ढाई महीने से चल रहे मणिपुर हिंसा को लेकर कुछ कहा क्यों नहीं? वे क्षेत्र का दौरा करने क्यों नहीं गये? विपक्ष के ये सवाल वास्तव में उनकी अज्ञानता और राष्ट्र के प्रति उनकी अनिष्ठा को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर की स्थिति पर लगातार नजऱ बनाए हुए हैं और उनके दिशानिर्देशों पर शांति स्थापित करने के तमाम प्रयास किये जा रहे हैं। और, सवाल जहाँ तक प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी का है, तो आलोचक जरा स्वयं सोचें कि ऐसे समय में, जब भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है और हमारे सामने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौते हैं, तो ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान से भारत को लेकर दुनिया में क्या संदेश जाएगा? विपक्ष को यह यथाशीघ्र समझने की आवश्यकता है कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है और इससे निपटने में हम सक्षम हैं। उन्हें दुनिया के सामने अपने ही देश को छोटा दिखाने का प्रयास बंद कर देना चाहिए।