चुनावी प्रचार प्रसार के बीच आचार संहिता अब लागू हो गई।राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव तिथियों की घोषणा की औपचारिकता पूरी कर दी है। छतीसगढ़ में 7 व 17 नवंबर को मतदान होगा। 11 नवम्बर से 20 नवम्बर नामांकन भरे जाएंगे। भाजपा ने अब तक दो चरणों में प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। दूसरी सूची वही आई जो लीक हुई थी। इसे लेकर अरुण साव से लेकर छोटे बड़े नेता साफ झूठ बोल रहे थे कि कोई सूची बनी ही नहीं है तो लीक का क्या सवाल ? आखिर बगैर एक शब्द इधर उधर हुए वही की वही लिस्ट फिर से अखबारों में इस तरह छपी मानों कोई नई सूची आ गई हो। दूसरी सूची 64 प्रत्याशियों की निकली जिसमें पूरी ईमानदारी से 23 नए नाम सामने आए हैं। पहली सूची 21 प्रत्याशियों की आई थी उसमें 19 नए चेहरे होने का दावा था। यानी कुल 85 सीटों में 42 नए नामों को जगह दी गई है। इनमें वे कोई भी चेहरे नहीं हैं जिनकी हवा में चर्चा हो रही थी। जिन्हें लोग बड़े प्यार से दूसरी लाइन के नेता कहते थे। उनकी जगह दरी उठाने वाले कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी गई है। कहते हैं जीतने वाले प्रत्याशी को टिकट दी गई है। यह कैसे पहचान की गई कि ये लोग जीताऊ प्रत्याशी साबित होंगे ? यह कोई भी समझ नहीं पा रहा है। शायद यही नाराजी सूची लीक होने का कारण भी बनी होगी ,सबको यही आशंका है। लोग कहते हैं कि भाजपा कब से इतनी कमजोर पड़ गई है कि सूची लीक के दोषियों पर कुछ भी कर पाने में अक्षम दिखाई दे रही है।
खैर यह तो एक बात हुई कि अनेक लोग इस सूची से भीतर ही भीतर अब भी उबल रहे है यह उबाल बाहर आ पायेगा या हमेशा की तरह सब शांत जाएगा। यह देखना होगा। दूसरी बात यह भी है कि सूची देख कर कांग्रेस सकते में है जो सोचा था वह नहीं हुआ। 42 नए अनजान चेहरे ने उनके लिए नई तरह की चुनौती खड़ी कर दी है। लगभग सारी सूची में नाम तय होने के बाद फिर से कवायद करनी पड़ेगी कि कौन किसके सामने कमजोर पड़ सकता है ? कौन मजबूत होगा ? कांग्रेस के सामने यह चुनौती तो भाजपा ने खड़ी कर ही दी। अब कांग्रेस कवायद करने में जुट गई है। पहले तो मन बना था कि पितृपक्ष के बाद सूची दी जाए लेकिन वर्तमान स्थिति में एक दो दिन में सूची जारी करने की मजबूरी बन गई है। वह भी संशोधनों के साथ। सुना गया था कि इस बार अपने वर्तमान 71 विधायकों में से 63 विधायकों को पुन: टिकट दिया जाए वही चेहरे रीपीट किये जायें,यह विचार किया गया था। 71 सीटों की गिनती में यह 85 प्रतिशत हो रहा है। यानी मौजूद विधायकों में 85 प्रतिशत को फिर रीपीट किया जाए। अब भाजपा की दूसरी सूची के बाद कुछ फिर से विचार की स्थिति बन गई है। आज मंथन भी शुरू हो गया। लाभ हानि का आंकलन हो रहा है। चुन लिए गए नामों में फेर बदल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस की सूची में किसको बदल दिया गया यह खबर तो पता नहीं चल पायेगी। क्योंकि अब तक सूची आंतरिक रूप से बनी हुई थी। अब बाहर आएगी वही सही नाम माने जायेंगें। यह हल्ला नहीं हो सकेगा कि मेरा नाम था काट दिया गया। फिर भी सूची आने के बाद डैमेज कंट्रोल की जरूरत जरूर पड़ेगी,यह तय माना जा रहा है। जहां भाजपा में दूसरी लाइन के नामधारी नेता मायूस हुए हैं , वैसे ही जिन लोगों को टिकट की पूरी आशा बन गई है वे कांग्रेसी क्या रंग दिखाएंगें , यह देखने वाली बात होगी। विरोध दोनों ही दलों में होगा । यह है भी स्वाभाविक प्रक्रिया। लोगों को बड़ी बेसब्री से कांग्रेस की लिस्ट का इंतजार है। यह मान रहे हैं कि 8-9 मौजूदा विधायकों का टिकट कटना तय माना जा रहा था। अब की परिस्तिथि में कितने बदलते हैं या 63 मौजूद विधायक टिकट पा लेंगे। कटती है तो किसकी कटती है। यह जानने लोग उत्सुक हैं। जिन पांच विधानसभाओं की टिकट भाजपा ने रोकी हैं, उनमें जिन लोगों को टिकट का वायदा देकर भाजपा में लाया गया है उनका सपना पूरा होता है या नहीं ? यह देखना भी अभी बाकी है।