Home बाबू भैया की कलम से भरोसे का संकट बनाम भरोसा बरकरार

भरोसे का संकट बनाम भरोसा बरकरार

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एक दिन की आड़ में दोनों प्रमुख दलों का चुनावी घोषणा पत्र सामने आ गया है। कांग्रेस ने भरोसे का घोषणापत्र दिया तो घोषणा पत्र की जगह भाजपा ने मोदी की गारंटी का पत्र जारी किया। एक में पार्टी ने अपनी घोषणा की दूसरी तरफ पार्टी की जगह प्रधान मंत्री पद पर विराजमान नरेंद्र मोदी ने गारंटी दी। एक पार्टी और एक व्यक्ति , जनता सोच रही है किसकी मानें किस पर विश्वास व्यक्त करें ? पार्टी की घोषणा पर या व्यक्ति की गारंटी पर किस पर करें ? भारतीय जनता पार्टी के एक कट्टर समर्थक से किसी ने यह प्रश्न पूछ लिया तो फट से जवाब आया क्या बकवास बात कर रहे हो। इंडिया इज इंदिरा-इंदिरा इज इंडिया की तर्ज पर झट से कह दिया कि मोदी ही भाजपा है ,भाजपा ही मोदी है , अच्छी तरह समझ लो आगे कभी यह वाहियात सवाल दोबारा नहीं करना। अन्यथा फिर सोच लेना। मोदी की गारंटी का मतलब ही भाजपा की गारंटी है। पूछने वाले ने भक्त से डरते-डरते फिर दूसरा सवाल पूछ लिया , यार आप ही लोग तो कहते थे, कांग्रेस में व्यक्तिवाद है परिवार वाद है। आप लोग भी व्यक्तिवाद पर उतर आए हो। मोदी कैसे भाजपा हो जाएंगे वे तो स्वयं ही अपने आप को एक कार्यकर्ता मानते हैं। ऐसा इतने दिनों में क्या हो गया कि वे ही पार्टी हो गए। गारंटी देने लगे। लगता है सभी राज्यों का काम अब वे स्वयं ही सम्हालेंगे। ये उसी की शुरुवात है उद्घाटन उन्होनें छतीसगढ़ से कर दिया है। कह दिया हम ही सवारेंगें,यहां हमने ही बनाया का संवाद नहीं किया जा सकता था क्योंकि सभी जानते हैं कि अटलबिहारी बाजपेई ने छतीसगढ़ बनाया था,अन्यथा …? अगर मेहनत रंग लाई और भाजपा की सरकार बन गई और गारंटी पूरी नहीं हुई तो गुहार लगाने मोदी जी के पास जाना होगा। शायद ऐसा ना हो तो भी स्थानीय सरकार जवाबदेही से मुकर जाए तो क्या किया जा सकेगा। गारंटी देने वाले दिल्ली में और राज्य चलेगा छतीसगढ़ में कैसे होगा यह आम जनता सोच रही है। वैसे गारंटियों में दम तो है,पूरी हो जाये तो छतीसगढ़ तो स्वर्ग बन जायेगा लोग खुशहाल होंगें। पर विश्वाश का संकट पर बात हो रही है,कैसे विश्वास करें 15 लाख आज तक आये नहीं, दो करोड़ नौकरियों का पता नहीँ,महंगाई खत्म जुमला साबित हो गया है। अब राज्य में विश्वास कैसे करें। लोगों में इस बात की भी चर्चा है। उधर कांग्रेस स्वयं ही अपने आप के लिए घोषित कर रही है कि हम भरोसे की सरकार हैं। इसीलिए हम दे रहे हैं भरोसे का घोषणापत्र। जनता क्या कह रही है यह जाने बगैर कहा जा रहा है कि जनता हम पर भरोसा करती है। सरकार व पार्टी कह रही है , पर जनता ने कहीं कहा हो यह रिकॉर्ड में नहीं है। अप्रमाणित भ्रष्टाचार के भारी भरकम आरोपों के बाद भी जनता की भरोसे की सरकार ? प्रमाण देने के प्रयास में कहा कि हमने किसानों का कर्ज दो घंटें में माफ किया, बिजली बिल हाफ किया ,2500 में रास्ता निकाल कर धान खरीदा, तेंदूपत्ता में 4000 दिया ,बोनस भी दिया। बिना मांगें आत्मानंद स्कूल खोले,गांव गौठान की योजना दी , और तो और हमने लोहंडीगुड़ा में किसानों की जमीन भाजपा सरकार ने उद्योगपति को दे दी थी उसे मुक्त करवा कर किसानों को वापस की। यहां तक कि बेकार समझे जाने वाला गोबर को धन में परिवर्तित कर जेब में पैसा डाला। इन कारणों से हमारे घोषणा पर जनता भरोसा करेगी। तर्क में दम तो है। अब यह भी कह दिया कि कर्ज फिर माफ कर देंगे हमारी सरकार फिर बनवा दो। अपील में भी दम है,पहले भी दो घंटे में किया तो था,शायद फिर कर ही देंगें। 16 और भी वायदे इसी दम पर किये हैं कि हम पर जनता भरोसा करेंगी भाजपा पर नहीं करेगी। दोनों दलों के वायदे लोक लुभावन हैं इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है। मामला सिर्फ विश्वास का है। राज्यों के चुनावों में जनता जनार्दन किस पर विश्वास जताती है यह महत्वपूर्ण है। कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र पर या मोदी की गारंटी पर यह भविष्य के गर्भ में है। फैसला मतदानों के रुझानों से समझ में आने लगेगा। अंतिम मोहर तीन दिसम्बर को लग ही जाएगी।