भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ के जनता ने बेहद उदार मन के साथ दोबारा सत्ता सौंपी है, इसलिए पार्टी का परम कर्तव्य है कि वह जन भावनाओं का ख्याल रखते हुए चुनाव में जितने भी लोकभावन वादे किए थे, उन्हें पूर्ण करे। फिर प्रधानमंत्री मोदी जी ने गारंटी भी दी है। प्रधानमंत्री की गारंटी की मर्यादा का पालन बहुत जरूरी है। जनता के मन में तभी विश्वास जाग्रत होगा, जब गारंटी को लागू करने की दिशा में फौरन कार्य शुरू कर दिया जाए । और यह इसलिए भी जरूरी है कि थोड़ी-सी भी लापरवाही हुई तो इसका दुष्परिणाम भी हो सकता है। छह महीने बाद लोकसभा के चुनाव होना है। उस चुनाव की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि आने वाले कुछ दिनों में ही भाजपा सरकार के वादे पूर्ण करने की दिशा में कुछ कदम उठ जाए। पिछली कांग्रेस सरकार ने अनेक वादे किए थे। लेकिन कुछ वादों के मामले में तो उसने बुरी तरह पलटी मार ली। हाथ में गंगाजल लेकर भी उसने अपना वचन नहीं निभाया। यही कारण है कि उसका गुरुर मिट्टी में मिल गया और सरकार का पतन सबके सामने है। इसलिए कांग्रेस के पतन को सबक मानकर भाजपा सरकार को अपना काम करना चाहिए। और देश-दुनिया को बता देना चाहिए कि उसने जो वादे किए हैं, उसे सौ फीसदी पूरा किया जाएगा। अगर मगर की, बजट आदि की अब कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। जो कहा, वह पूरा करना ही नैतिकता है। कोई भी सरकार तभी लंबे समय तक टिक पाती है, जब वह जनता के विश्वास पर खरी उतरती है। छत्तीसगढ़ की तीन करोड़ जनता को पूरा विश्वास है कि इस बार जो सरकार आई है, वह जनता की सरकार होगी। जनता की हर समस्या का समाधान करेगी ।शराबखोरी की बढ़ती लत पर वह विराम लगाएगी और पहली प्राथमिकता में ही शराबबंदी की दिशा में सरकार आगे बढ़ेगी । आदिवासी मुख्यमंत्री का चयन किया गया है, इसलिए अब मुख्यमंत्री का भी दायित्व है कि वह आदिवासी समाज के उन्नयन के लिए अपनी कार्य योजना बनाए। अब सरकार स्मार्ट नगर से भी आगे बढ़े और स्मार्ट गांव से होते हुए स्मार्ट वनवासी (आदिवासी) जीवन तक पहुंचे। वनबधुओं को हम वनों में रहने की पूरी सुविधा उपलब्ध कराएं। उनकी सहमति से उनका समुचित विकास करें। वन प्रांतर में रहने वाले बन्धुओं को उनकी सुविधा के लिए बाजार मिले। वहां विद्यालय हो। वहां चिकित्सालय हो। और शहर से वनों तक पहुंचने वाले मार्ग पक्के हों। अगर इतना भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार पाँच सालों में कर लेती है, तो यह बहुत बड़ी सफलता होगी। इसका एक सुंदर संदेश देशभर में जाएगा कि सरकार कुछ करने वाली सरकार है ।अगर आदिवासी मुख्यमंत्री का चयन किया गया है तो वह शो-पीस नहीं है । इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति है कि अब हमें शहर और गांव से दूर वन प्रांतर में रहने वाले आदिवासी बन्धुओं का भी उन्नयन करना है। आदिवासी लोक कला संस्कृति के साथी नागर जीवन से जुड़ी कला-संस्कृति और साहित्य के उन्नयन की दिशा में गंभीर होने की जरूरत है। कितने दुर्भाग्य की बात है कि जिस छत्तीसगढ़ की राजभाषा छत्तीसगढ़ी है ,उस छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग को कांग्रेस सरकार एक अध्यक्ष तक नहीं दे पाई और पाँच साल निकल गए!! इस दिशा में भाजपा सरकार को चंद महीनों में एक अध्यक्ष देना ही चाहिए। बहरहाल, छत्तीसगढ़ में तो बहुआयामी विकास तो करना ही है, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी जो वादे हुए हैं, उन वादों को लागू करके वहां भी जन विश्वास को अर्जित करना है। और मुझे क्या, हर नागरिक को लगता है कि इस बार हर वादा पूर्ण होगा। इन वादों की बुनियाद पर ही सन 2024 को एक बार फिर अब विजय की तीसरी मंजिल खड़ी हो सकेगी।