Home बाबू भैया की कलम से अनुपूरक: वादों को पूरा करने उठे कदम

अनुपूरक: वादों को पूरा करने उठे कदम

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छतीसगढ़ में सरकार बदलते ही राजनैतिक परिदृश्य धीरे धीरे अपने नए आकार में प्रवेश कर रहा है। विधानसभा में मुख्यमंत्री,विधानसभा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष तीनों ही एक मिजाज के दिखे। विष्णुदेव साय,डॉ.रमन सिंह व चरणदास महंत को लोग सौम्य,सरल-सहज नेता मानते हैं। तीनों के बीच की इस समानता को छतीसगढ़ की विधानसभा व सरकार व विपक्ष के तालमेल के माध्यम से जनता प्रदेश के समुचित विकास व उत्थान के दृष्टिकोण से देख रही है। सदन में तीनों के इस समान गुण की अनेक लोगों ने अच्छे शब्दों में व्याख्या की। सभी का लब्बो लुआब भी यही दिखा कि तीनों मिल कर पक्ष विपक्ष में भेदभाव से परे प्रदेश के विकास को अंजाम देंगें। लोगों की यह सोच तो अच्छी है लेकिन राजनीति ऐसा होने देगी क्या ? यह बड़ा प्रश्न है। जोगी से लेकर डॉ.रमनसिंह के 15 साल के शासन के रास्ते भूपेश सरकार ने भी अपना कमोबेश योगदान इस प्रदेश को दिया है। भले ही ये कहा जा सकता है कि अपने- अपने तरीके से किया है। जहां स्व.अजित जोगी ने धान खरीदी की सरकारी प्रथा शुरू की जो आज प्रदेश की महत्वाकांक्षी योजना बनी हुई है और किसानों गरीबों के पेट से जुड़ी है। गरीब किसानों के लिए जीवनाधार बनी हुई है। हर साल सरकार की तरफ किसान देखता है। उम्मीदें लगाता है और सरकारें उसकी उम्मीदों को पूरा करने का प्रयास करती हैं। डॉ.रमनसिंह की सरकार ने 15 सालों में अपने तरीके से इस योजना को परिपक्व तथा पारदर्शी बनाने कड़ी मेहनत की। साथ ही प्रदेश के बिगड़े अधोसंरचनाओं पर विशेष ध्यान देते हुए इतना काम 15 सालों में कर दिया कि अगली सरकार के लिए इस क्षेत्र में नया कुछ करने को खास बचा नहीं। भूपेश सरकार आई उसने अपना प्रदेश सेवा का नया पैमाना बनाया। गांव गरीब को प्राथमिकता में रखा किसान को महत्वपूर्ण रूप से प्राथमिकता प्रदान की , पहले ही दिन से कर्ज माफ का वायदा पूरा करने के साथ जो भी योजना बनाई उसमें गांव की सेवा का संकल्प ज्यादा दिखा। जमीनी स्तर पर छोटी छोटी योजनाओं को लागू किया,जिसका लाभ गरीबों में निहित था। चुनाव में उन्हें इसी सेवा का लाभ मिलने की पूरी संभावना थी पर यह संभव नहीं हो पाया। जनता ने सरकार की संभावनाओं को एकदम उल्टा कर दिया यह जनता जनार्दन है कब क्या कर दे कहा नहीं जा सकता। यह कहने के सिवाय कांग्रेस के पास कुछ बचा नहीं है। अब नई उम्मीदों के साथ विपक्ष में बैठने के सिवाय रास्ता नहीं है। कांग्रेस ने अपने विधायक दल का नेता डॉ.चरणदास महंत को बना कर कार्यकर्ताओं को नया संदेश देने का प्रयास किया है,वहीं भूपेश बघेल का ओहदा भी राष्ट्रीय बनाते हुए उन्हें बड़ा काम सौंप दिया है। कांग्रेस के पास भले ही अभी कहने के लिए कुछ ना हो लेकिन भाजपा की नई सरकार का चेहरा साफ होने के बाद उसके कदमों से दिशा दशा का संकेत मिलेगा। उसके बाद कांग्रेस की भूमिका भी तय हो जाएगी। भाजपा का कहना था कि 2018 में अपनी बड़ी बड़ी घोषणाओं के माध्यम से कांग्रेस सरकार में आई थी। बाद में उसकी दिशा दशा बदल गई थी। अब भाजपा ने भी बड़ी बड़ी घोषणाओं को मोदी की गारंटी में शामिल किया है। उसे पूरा करने के बाद ही दिशा-दशा साफ हो जाएगी। कांग्रेस यह मान कर चल रही है कि भाजपा ने झूठ के बल पर घोषणाएं की हैं उसे पूरा नहीं कर पायेगी। यहीं से कांग्रेस के विपक्ष की भूमिका तैयार होगी। उम्मीद कितनी पूरी होती है और कितनी नहीं यह तो अभी नई सरकार की चालों से आगे समझ में आएगा।
फिलहाल पहली केबिनेट में विष्णुदेव साय ने गरीबों को आवास योजना की घोषणा पर अमल करते हुए निर्णय ले लिया है। कांग्रेस की नजर अब उसके क्रियान्यवन की ओर लगेंगी। आवास आवंटन में उसकी मॉनिटरिंग होगी। मुख्यमंत्री पर अन्य योजनाओं के क्रियान्यवन का दबाव बनाने का प्रयास भी कांग्रेस कर रही है। आज विधानसभा में अनुपूरक बजट अनुमान प्रस्तुत हुआ है उसमें भाजपा की सरकार ने महतारी वंदन योजना को अमली जामा इसी माह से पहुंचाने के लिए राशि का प्रावधान करके तथा पिछले दो वर्षों की धान की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान करके अपनी सरकार की प्राथमिकता दर्शाने का काम किया है। नई धान खरीदी की प्रोत्साहन राशि पर कोई बात नहीं की है। चल रही धान खरीदी की राशि 3100 व 21 क्विटल वाली बात निकट भविष्य में कांग्रेस जोरों से उठाएगी इसकी संभावनाएं बढ़ जाएगी। यह तो कहा ही जा सकता है कि खाली खजाने के बीच महतारी वंदन योजना को आगे बढाने व दो साल की प्रोत्साहन राशि देने की ओर अनुपूरक बजट में प्रावधान करके भाजपा की नई सरकार ने अपना संकल्प जाहिर करने का अच्छा प्रयास किया है।लेकिन अभी वर्तमान धान खरीदी में अपने वायदे को पूरा करने का दबाव भाजपा सरकार पर रहेगा। मंत्रिमंडल का गठन पूरा होने के बाद भी काफी कुछ समझ में आने लगेगा कि पक्ष व विपक्ष की दशा व दिशा क्या होने वाली है। घोषणाओं से लाभान्वित होने वालों में इसकी प्रतीक्षा है।