राम राज की आदर्श प्रेरणा प्रदर्शित करने वाली पार्टी भाजपा की प्रदेश सरकारें छतीसगढ़ ,मध्यप्रदेश,राजस्थान में बन गई। छतीसगढ़ को विष्णु ,मध्यप्रदेश को मोहन,और राजस्थान को भाजपा के भजन सही दिशा में चलाएंगे,यह पार्टी ने तय कर दिया है। दो दो उप मुख्यमंत्री बनाने की नव परम्परा भी भाजपा ने तीनों प्रदेशों में लागू कर दी है। सरकार में नए पुराने चेहरों के साथ जातिगत संतुलन साधने की भरपूर कोशिश की गई है। अनेक दिग्गज पुराने चेहरे ठंडी सांस लेने मजबूर कर दिए गए हैं। मंत्रिमंडल गठन के लिए अब तक पार्टी के पास इतने चेहरे होने के बाद यह स्थिति बनी हुई थी कि ‘किसे याद रखूं किसे भूल जाऊंÓ अब उन पुराने दिग्गजों के साथ हुए व्यवहार के बाद ‘इसे याद रखूँगा ,कैसे भूल पाऊंÓ वाली स्थिति बनी हुई है। मंत्रिमंडल का गठन हो गया है। जिस तरह मुख्यमंत्री बनने में विलम्ब हुआ उसी तरह मंत्रिमंडल बनाने में उहापोह की स्थिति देखी गई अब मंत्रिमंडल बन गया तो किसे कौन सा विभाग दिया जाए इन पंक्तियों के लिखे जाने तक यह तय नहीं हो पाया है। भाजपा जैसी कैडर बेस पार्टी से लोगों को यह उम्मीद नहीं थी कि विलम्ब करेगी। यह भी कि एक मंत्री का पद रोक कर उम्मीदें रखवाने का प्रयास भी पहले नहीं देखा गया है। भाजपा जो भी करती है दो टूक करती है। लोगों की धारणा तो अब तक यही रही है। अब कुछ थोड़ा परिवर्तन दिखाई दिया है। बहरहाल सब ठीक ठाक ही चल रहा है। कहीं कोई नाराजी वाली टिप्पणी बाहर नहीं आई है। सब खामोश है। कुछ तो सरकार को संतुलित व सक्षम बता कर अपनी पार्टी निष्ठा को दर्शा चुके। कुछ मौन रह कर समय को समझने में लगे हैं। इन्ही सारी कवायदों के बीच बगैर विभाग बंटवारे के ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मोदी की गारंटी की राह चलना तेजी से शुरू करने के स्पष्ट संकेत अपने त्वरित निर्णयों से देने लगे हैं। फिलहाल तक सारे विभाग उन्हीं के पास हैं। पहली केबिनेट की बैठक में मोदी की गारंटी में किये वादे के अनुसार 18 लाख अटल आवास योजना के मकानों को मंजूरी देकर ‘विष्णुÓ ने अपना चक्र छोड़ दिया है। अब उम्मीद की जा सकती है , कई चरणों में आवास आबंटन हो ही जायेगा। 13 दिसम्बर को शपथ लेने के बाद मात्र 13 दिनों के भीतर दो बड़े वायदे मुख्यमंत्री ने धरातल पर लाकर अपनी सोच को जाहिर किया है कि वे किस दिशा में प्रदेश को ले जाने वाले हैं। दूसरा बड़ा वायदा उन्होंने 25 दिसम्बर को स्व. अटल बिहारी बाजपेयी की याद में मनाए जाने वाले सुशासन दिवस पर पूरा किया। रमनसिंह सरकार के कार्यकाल का शेष दो साल 2014/15 व 2015/16 का धान खरीदी बोनस 3716 करोड किसानों के खाते में हस्तांतरित कर दिया। साथ ही महतारी वंदन योजना में प्रत्येक विवाहित महिलाओं को 12000 प्रति वर्ष देने की बात कह दी कि करेंगें। इसके अलावा किसानों का प्रति एकड़ 21 क्विंटल के मान से कुल 130 क्विटल धान खरीदी को प्रति क्विंटल 3100 रुपये का एकमुश्त भुगतान किये जाने की घोषणा भी मुख्यमंत्री ने कर दी है। यह भी कहा है कि जिन लोगों ने अब तक धान बेच दिया है उनको भी बढ़ी हुई राशि के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। मुख्यमंत्री की इन घोषणाओं से जाहिर तो यही होता है कि मंत्रियों के विभाग बंटवारे से ज्यादा जरूरी काम मोदी की गारंटी को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाना है। सबको याद होगा कि किस तरह कांग्रेस की सरकार ने अपनी घोषणाओं को पूरा करने की दिशा में सरकार गठन के चंद घंटों में ही पूरा करने की दिशा में कदम उठाकर लोकप्रियता हासिल की थी। प्रमुख चार घोषणाओं पर अमल किया , ग्रामीण योजनाएं सामने लाके कैसे किसानों की सरकार व किसान मुख्यमंत्री जैसी लोकप्रियता हासिल कर ली थी। पांच साल यह छवि बनी रही। राजनीति के केंद्र में किसान व गांव आ गया। भाजपा को भी अपने मोदी की गारंटी वाली घोषणाओं में प्रमुख रूप से किसान को केंद्र में रखना पड़ा। अपनी तात्कालिक भूल को सुधार कर दो साल का बोनस देने का वायदा भी करना पड़ा। इसके लिए केंद्र सरकार को कांग्रेस सरकार के दौर में बोनस पर लगाया गया प्रतिबंध भी हटाना पड़ा है। अब यह भी कि आगे भी 3100 देने के लिए बोनस देने का रास्ता निकालने का काम भी करना पड़ेगा। जो बोनस देना कांग्रेस सरकार के समय केंद्र सरकार ने गलत माना था। वह अब सही माना जाने लगा है। यह किसानों व किसानी की ताकत को दर्शाता है। यह भी प्रतिष्ठा में आ गया किसान के लिए बोनस कितना महत्वपूर्ण है। 2018 के चुनाव के समय डॉ रमनसिंह कहते रह गए कि दो साल का बोनस देना जरूरी है,पर ऊपर वालों ने सुनी नहीं,खामियाजा भुगतना पड़ा। कांग्रेस ने भी कहा था कि हमारी सरकार बनी तो यह दो साल का बोनस हम देंगें। नहीं दिया कहा केंद्र ने प्रतिबंध लगा रखा था जबकि चाहते तो राजीव गांधी न्याय योजना में यह भी शामिल किया जा सकता था। चूक गए। अब बाजी भाजपा के हाथ है। यदि बड़ी चार योजनाओं को सरकार ने सफलता पूर्वक लागू कर दिया तो निश्चित कहा जा सकता है कि यह सरकार अपनी घोषणाओं पर अडिग है। सबका विकास सबका साथ के नारे के साथ आगे बढ़ रही है,लोकप्रियता हासिल करेगी। शेष घोषणाओं के लिए पर्याप्त समय जनता दे देगी।