Home बाबू भैया की कलम से सौम्य-सरल साय पर ‘सिस्टम’ और ‘मुफ्त’ का बोझ

सौम्य-सरल साय पर ‘सिस्टम’ और ‘मुफ्त’ का बोझ

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प्रदेश के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सीधे व सरल व्यक्ति हैं। समाज में इसे व्यक्ति का गुण माना जाता है। जिसकी प्रंशसा होती है और होनी भी चाहिए। अब समाज की बेहतरी के लिए ,जनविकास के लिए श्री साय प्रदेश के सबसे बड़े प्रशासानिक पद पर विराजमान हुए हैं। यहां उनका सीधापन ,सौम्यता,सरलता आम जनों को तो सुहाएगी, इसमें किसी को शक -ओ-सुबहा कतई नहीं है। प्रशासन चलाने के लिए तो इन गुणों के साथ सिस्टम को साधने व उनसे काम लेने के लिए समझ व कड़ाई की जरूरत पड़ेगी। समझ में तो कहीं कोई कमी नहीं लगती है। लंबे राजनीतिक पदों पर रहते हुए उन्होंने निश्चित रूप से उनमें परिपक्वता हासिल कर ली होगी। सरल व्यक्ति एकदम से कड़ाई करने का मन नहीं रखता। प्रशासन के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी। सबसे बड़ा खतरा प्रशासनिक अधिकारियों से होता है जो सरलता का फायदा उठाने के माहिर खिलाड़ी होते हैं। यह अनेक मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में देखा गया है कि सीधेपन व सरलता का गलत फायदा सिस्टम में बैठे लोग उठाने लगते हैं। आरोप लगते हैं कि सत्ता तो अधिकारी चला रहे हैं। ऐसे माहौल के बनने पर हमने सत्ता को बदलते देखा है। जब सौम्य ,सरल व व्यवहारिक व्यक्तित्व के धनी होने के बावजूद सत्ता से बेदखल होना पड़ा है। सरलता का लाभ उठाने वाले सिर्फ सिस्टम के लोग ही नहीं अपने लोग भी होते हैं, जो धीरे धीरे जकडऩा शुरू करते हैं। आरोप लगते हैं कि मुख्यमंत्री को घेर लिया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से छतीसगढ़ की जनता को बड़ी आस है। यह आस जगी ही लोक लुभावन वायदों के कारण है। छतीसगढ़ में महतारी वंदन योजना में प्रति विवाहित महिला को 1000 प्रतिमाह यानी 12000 प्रति वर्ष देना,3100 प्रति क्विंटल ,प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी,एकमुश्त भुगतान, 18 लाख गरीबों के अटके आवास बनाकर पात्र को सौंपना, दो साल का बकाया बोनस देने के वायदे प्रमुख माने गए हैं। वैसे ‘मोदी की गारंटी’ के वायदे तो कुल जमा 20 हैं, परंतु अभी हाल इन चार पर लोगों की निगाह जमी हुई है। मुख्यमंत्री चाहते भी यही हैं कि ये वायदे जल्द व समय सीमा में पूरे किए जाएं। उन्होंने इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दिखाई है। बकाया बोनस खातों में भेजा जा चुका है। सरकार अपना काम कर रही है तो सिस्टम भी अपना काम कर रहा है। अनेक स्थानों में सहकारी बैंकों की शिकायत पात्र किसान कर रहे हैं। कुछ पात्र लोग नाम काटे जाने की जानकारी भी दे रहे हैं। राजकोष के हालात भी स्वस्थ नहीं हैं। राशि जुटानी है। मजबूत वित्त मंत्री हैं। एक आशा की किरण डबल इंजिन की सरकार का कॉन्सेप्ट भी है। बड़ा कर्ज लेने की मजबूरी भी सामने होगी। पहले ही 86000 करोड़ के कर्ज से छतीसगढ़ जूझ रहा है। प्रति माह ब्याज में भारी रकम टूट रही है। एक अखबार की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो कर्नाटक,राजस्थान,तेलंगाना,व छतीसगढ़ कर्ज की राशि उठाने वालों में टॉप 10 में शामिल हैं। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने सम्पूर्ण भारत के राज्यों पर जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि जनवरी-मार्च तिमाही में देश के राज्य 4.13 लाख करोड़ का कर्ज बाजार से लेगें। 2023-24 में अप्रैल से अक्टूबर तक 7 महीने में कुल 2.58 लाख करोड़ बाजार से उठाए थे। अर्थ यह कि अगले तीन माह में 7 माह की तुलना में 60त्न अधिक कर्ज लेंगें। इस रिपोर्ट के अनुसार हालांकि छतीसगढ़ में 2022-23 में सरकार ने कोई भी कर्ज नहीं लिया था,बल्कि पिछले कर्ज में से 2.227 हजार करोड़ कर्ज चुकाया था। इस वर्ष जनवरी से मार्च 24 में 11 हजार करोड़ का कर्ज लेने का अनुमान बताया गया है। इस तरह कर्ज बढ़कर लगभग एक लाख करोड़ प्रदेश के सर पर हो जाने का अनुमान है। यह भी बताया गया है कि राज्यों के लोक लुभावने वायदों को पूरा करने व योजनाओं को लागू करने के लिए धन जुटाने कर्ज के अलावा दूसरा कोई साधन नहीं होता है। छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री के सामने भी मुफ्त की योजनाओं को पूरा करने की चुनौती मौजूद है। यह भी सोचना है कि प्रदेश की जनता के सर पर कर्ज का अधिक बोझ ना पड़े। मितव्यविता पर भी फोकस करना है। प्रयास शुरू भी कर दिए गये हैं। अनावश्यक खर्च से बचने की सलाह दी गई है। बगैर सरकार की नजर में लाये खर्च ना करने के निर्देश भी हैं। सौम्य सरल मुख्यमंत्री की इस सलाह को सिस्टम कितनी गंभीरता से लेता है, यह देखने वाली बात होगी। यह साफ झलक रहा है कि सरकार के वायदे तो पूरे हो जाएंगे। ‘मोदी की गारंटी’ भी पूरी कर दी जाएगी। राजनैतिक रूप से सरकार को प्रतिष्ठा भी मिल जाएगी। उसकी कीमत इन वायदों से लाभान्वित जनता को अपने ही ऊपर लदे कर्ज से चुकानी पड़ेगी। यानी हाथ घुमा कर कान पकडऩे वाली बात हुई। जेब में पैसा आएगा और सर पर कर्ज चढ़ेगा, यानी लिया दिया सब बराबर। संकेत साफ है कि जनता को मुफ्त की आदत छोडऩी पड़ेगी अन्यथा आने वाली पीढियां इस कर्ज के बोझ तले अपने को दबा महसूस करेंगीं।