Home बाबू भैया की कलम से हिन्दू आस्था का सैलाब और लोकसभा चुनाव

हिन्दू आस्था का सैलाब और लोकसभा चुनाव

114
0

22 जनवरी को अयोध्या में राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ देश-दुनिया के हिंदुओं के लिए नए भारत का नव इतिहास गढऩे का कठिन उद्देश्य सफल हुआ। इसके साथ ही दुनिया के हिंदुओं की आस्था का नया सूर्य चमक उठा है। यह बात अब तक आलोचना करने वाले भी स्वीकार कर रहे हैं। देश दुनिया के सभी अखबार, चैनल राम राम के गुणगान से अटे पड़े हैं। हर पन्ने पर बस श्रीरामलला ही रामलला दिखाई पड़ रहे हैं। वे भी जो आज तक मंदिर निर्माण के तरीकों व प्रक्रियाओं और तारीखों की आलोचना कर रहे थे, रामलला के विग्रह दर्शन के साथ ही भावविभोर हो गए हैं। नयनाभिराम मूर्ति ने सबको उत्साहित कर दिया है।राजनीति को एक किनारे करते हुए सभी हिन्दूओं को एक मंच पर देखने का सौभाग्य मां भारती को आखिर कई शतकों के बाद पहली बार देखने को मिल ही गया। सबने एक स्वर में कहा कि इनके व उनके नहीं बल्कि हमारे रामलला को अपना घर मिल ही गया। वैसे भी रामलला से किसी को कोई आपत्ति थी ही नहीं। बस रामनाम की धर्म की राजनीति ने नाराजी रखते थे। दरअसल वे धर्म की राजनीति के स्वरूप से गुरेज कर रहे थे,धर्म आधारित राजनीति से नहीं। राज करने का तरीका धर्म आधारित होना चाहिए,धर्म पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। सभी आलोचकों का इशारा इसी ओर था। राममंदिर बन गया रामलला के विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा के साथ उनके दर्शनों के लिए द्वार आम रामभक्तों के लिए खोल दिये जायेंगें। प्राण प्रतिष्ठा व मंदिर उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया उनके साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ.मोहन भागवत, यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे। मोदी के साथ पूजा में डॉ.मोहन भागवत ने भी बराबर साथ दिया। इसके साथ ही भारत के इस नव इतिहास में इन सभी का नाम अंकित हो गया। हजारों साल तक रामलला के इस मंदिर के निर्माण व उनके घर वापसी की कथा का स्मरण किया जाएगा, तब तब इन महानुभावों के योगदान की भी गाथा को याद किया जाएगा। इसके साथ ही इस प्राणप्रतिष्ठा को प्रत्यक्ष देखने वाले विविध क्षेत्र के विशिष्ठ सज्जन वृन्द व साधु संतों व अन्य धर्मानुवलम्बियों को भले ही हजारों साल याद नहीं किया जाएगा। आज की पीढ़ी जिसने किसी भी माध्यम से इस प्राणप्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम को देखा है वे जरूर अपने जेहन में इन यादों को सहेज कर रखेंगें। हजारों साल बाद इस मंदिर को किस स्वरूप में मान्यता मिलेगी, अगले युगों में किस तरह देखा जाएगा। यह तो आज कहा जाना मुश्किल है। अनुमान ही लगाया जा सकता है।आज जरूर दुनिया के हिंदुओं को एक मंच पर लाने में सफलता मिली सी प्रतीत हो रही है। इसमें किसी को कोई शक नहीं है। टीवी कार्यक्रम को माध्यम माने तो अमेरिका,मॉरीशस,इंग्लैंड के साथ अनेक देशों में कल जश्न मनाया गया। वहां भी भारतवंशियों ने भगवा झंडों के साथ राममंदिर में रामलला की स्थापना की खुशी का इजहार रैली निकाल कर किया । हनुमान चालीसा का पाठ किया। रामगीतों व सीताराम की धुनों के साथ उत्सव मनाया। दुनिया के हिंदुओं ने इसे एक विशिष्ट गर्व के रूप में प्रतिष्ठा दी। दुनिया की नजर रामलला के इस भव्य उत्सव की ओर आकर्षित हुई। प्रत्येक भारतीयों में इस बात का गर्व पैदा हुआ। इस अवसर में अतिथियों द्वारा दिये गए उद्बोधन का भी अपना अंतरराष्ट्रीय महत्व दिखाई दिया। हमारे अतिथियों ने जो कुछ भी कहा उसमें भविष्य के भारत की आवाज ध्वनित हुई। डॉ.मोहन भागवत ने कहा कि भारत का स्व लौटा है। सम्पूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला भारत खड़ा होकर रहेगा,आज का यह कार्यक्रम इसी बात का प्रतीक है। इस उद्बोधन के माध्यम से भागवत ने दुनिया को भारत के विश्व गुरु बनने की दिशा में उठे कदम के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने का इशारा किया है। यह भी कह दिया कि छोटे छोटे विवादों को पीछे छोडऩा होगा। संयम रख कर काम करना होगा। धर्म के चार मूल्यों सत्य,करुणा,शुचिता और तपस पर आधारित राज्य चलाना होगा। यह भी कहा कि जिस धर्म की स्थापना के लिए रामावतार हुआ था उसी धर्म के अनुकूल हमें भी आचरण रखना होगा। यही हमारा रामराज्य का कर्तव्य भी है। यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा राम विवाद नहीं समाधान हैं, आग नहीं ऊर्जा हैं। लोग कहते थे राममंदिर बनेगा तो आग लग जायेगी। उन्हें जवाब मिल गया है। यह भी कह दिया राम सिर्फ हमारे नहीं सबके राम हैं। यह भी कहा कि हम रामकाज को राजकाज के जरिये जोड़ देंगें। सारे परिदृश्य में देखा जाए तो लगने लगा है कि राममंदिर निर्माण का श्रेय जिन्हें मिलना चाहिए वे भले ही कार्यक्रम में नहीं आ पाए हों। मंदिर के लक्ष्यकर्ता शिल्पकार की भूमिका निभाने वाले,आलोचनाओं को ,तिरस्कार को झेल कर भी प्राणप्रतिष्ठा करने वाले नरेंद्र मोदी के नाम यह श्रेय मंदिर निर्माण के इतिहास के पन्नों में स्वमेव ही दर्ज हो गया। उन्हें अनेकों के दिल में युग पुरुष, नए शकराचार्य, राजा विक्रमादित्य, छत्रपति शिवजी महाराज और ना जाने किन किन रूपों में प्रतिष्ठा मिल चुकी है। बुद्धिजीवियों ने भी कहा कि राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से नरेंद्र मोदी ने 2024 के लिए भाजपा की पुन: राज प्रतिष्ठा सुनिश्चित कर दी है। विपक्ष को यह संदेश भी दे दिया है कि की यदि धर्म की आंधी आ रही हो तो उससे मुकाबला करने व टकराने की बजाय बचने के लिए कहीं आड़ लेकर छिप जाना ही बेहतर होता है।