29 जून की रात पूरे देश में भारत माता की जय… वंदे मातरम और जय हिंद के नारे गूँज रहे थे । दक्षिण अफ्रीका के बारबाडोस में टी-20 क्रिकेट मैच में भारत सत्रह साल बाद विश्व चैंपियन जो बना था। यह 140 करोड़ भारतवासियों के लिए गर्व की बात थी। (कुछ देशविरोधियों की छाती पर सांप भी लोटे होंगे, यह अलग बात है) लेकिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, दिल्ली से लेकर रायपुर तक और जयपुर से लेकर राउरकेला तक भारत माता की जय के नारे गूँजते रहे । पटाखे फूटते रहे। ऐसा लगा कि अचानक दिवाली आ गई है। यह देखकर हृदय गदगद था। देश में राष्ट्रप्रेम इसी तरह बरकरार रहे। मैच शुरू होने के पहले राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होकर उसे सुनना और दोहराना तो भावुकता से भर ही रहा था । और उसके बाद पूरे मैच को देखना भी कम रोमांचक नहीं था। हालांकि खेल के अंत में डर भी लगा कि पता नहीं भारत जीत पाएगा या नहीं। लेकिन हमारे गेंदबाजों ने देश की भावनाओं को समझा और दमदार बोलिंग की। इसके कारण दक्षिण अफ्रीका के रन बनने की गति एकदम धीमी हो गई । विराट कोहली के 76 रन और सूर्यकुमार का वह रोमांचक कैच हम भूल नहीं सकते। हमारे बॉलर जसप्रीत बुमराह, अर्शदीप की बॉलिंग ने टीम इंडिया को जीत के मुहाने तक पहुंचाया। देशवासी निराश हो रहे थे और लग रहा था कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी मैदान मार लेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं ।और हम हारते-हारते सात रन से जीत ही गए । और उसके बाद तो कमाल हो गया। होना ही था। अभी तो सोशल मीडिया का दौर है। चीजें तुरंत वायरल हो जाती हैं ।लेकिन मैं याद करता हूँ, सन 1983 को, जब इंटरनेट नहीं था, तब भी जब भारत विश्व चैंपियन बना था, तो रायपुर के हजारों लोग जयस्तंभ चौक पर जमा हो गए थे और वहां भारत माता की जय के नारे लग रहे थे। 29 जून 2024 को भी लगभग यही नजारा दिखा। अंतर केवल इस बात का था कि इस बार हर कोई अपने मोबाइल से इस सुंदर नजारे को कैमरे में कैद कर रहा था। टीवी के विभिन्न चैनल देश भर के उत्साह को अपने-अपने चैनलों के माध्यम से सीधे यानी लाइव दिखा रहे थे। देश के कोने-कोने में भारत माता की जय के नारे गूँज रहे थे। मेरे मन मे एक नारा कौंधा,
बच्चा-बच्चा डोल रहा है
भारत की जय बोल रहा है
तिरंगा लहराते हुए लोग सड़कों पर उतर आए। और वंदे मातरम या भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। यह दृश्य देख कर उन लोगों के लिए यकायक सोचने लगा कि बेचारे उन दिलों में क्या बीत रही होगी, जो भारत माता की जय बोलने से परहेज करते हैं। इस देश में रहते हैं, इस देश का अन्न-जल ग्रहण करते हैं और भारत माता की जय बोलने में उनकी आत्मा कलपती है। कुछ तथाकथित प्रगतिशील से उग्र राष्ट्रवाद भी कह रहे होंगे। पूरे देश में भारत माता की जय की गूँज सुन-सुनकर बेचारे कितने विचलित हुए होंगे। उम्मीद है, वे भी जल्द ही भारत माता की जय बोलेंगे। रह-रह कर मुझे राष्ट्रकवि गयाप्रसाद शुक्ल सनेही की यह कविता याद आ रही है कि
जो भरा नहीं है भावों से
बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।