छत्तीसगढ़ के जनजाति क्षेत्रों में इसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण कराए जाने की शिकायत कोई नई नहीं है। स्वतंत्रता के पूर्व ही यह सुनियोजित षडय़ंत्र चल रहा है। स्वतंत्रता के बाद पं. रविशंकर शुक्ल जब मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री बने और उसके बाद मध्यप्रदेश का गठन हुआ तब उन्होंने भी जनजाति क्षेत्र में इसाई मिशनरियों के द्वारा कराए जा रहे लोभ और छल से धर्मांतरण पर चिंता जताई थी। इस संबंध में उन्होंने सुप्रसिद्ध गांधीवादी ठक्करबापा से भी चर्चा कर प्रभावी क्षेत्रों में आकर इस विषय का अध्ययन करने का आग्रह किया था। लेकिन तब से लेकर आज तक संविधान में धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए धर्मांतरण को प्रभावी रुप से रोकने का प्रयास शासन स्तर पर नहीं हुआ। फादर स्टेन्लॉस के मामले में फैसला लेते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने स्पष्ट कर दिया था कि छल बल और लोभ से धर्मांतरण कराना गैरकानूनी है। इसके बाद धर्मांतरण कराने की एक प्रक्रिया भी बनाई गई लेकिन धर्मांतरण को लेकर विवाद थमे नहीं है। 2018 में भूपेश बघेल की सरकार बनी उसके बाद पिछले 4 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी सहित जनजाति क्षेत्रों में काम करने वाले संगठनों ने मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण किए जाने की शिकायत की है। लेकिन इस मामले को राजनीतिक बताते हुए थाने में मामला दर्ज नहीं होने की बात कहते हुए हमेशा आरोपों को नकार दिया। धीरे-धीरे बस्तर संभाग में धर्मांतरण का विषय विस्फोटक होते गया। सुकमा के एसपी रहे सुनील शर्मा ने तो अपने थाना प्रभारियों को एक पत्र लिखा था जिसमें इसाई मिशनरियों की गतिविधियों का उल्लेख किया था। उन्होंने भी स्थानीय आदिवासियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने की बात कही थी और साथ ही यह संभावना भी जताई थी कि स्थानीय आदिवासी और धर्मांतरित लोगों के बीच विवाद हो सकता है। इतना ही नहीं नवम्बर 2021 में कुछ इसी तरह का पत्र बस्तर संभाग के कमिश्नर जी.आर. चुरेन्द्र ने भी लिखा था और कलेक्टरों को प्रभावशाली तरीके से कार्यवाही करने को कहा था। लेकिन प्रशासन की जानकारी में होते हुए भी पिछले एक साल से बस्तर संभाग धर्मांतरण मुद्दे पर जल रहा है। जिसका ताजा उदाहरण नारायणपुर जिले के ग्राम गुर्रा में धर्मांतरित इसाई और जनजाति समाज के बीच हिंसक वारदात है। आदिवासी समाज पूरी तरह से धर्मांतरण के खिलाफ उतर चुका है। अगर समय रहते सरकार ने धर्मांतरण करने वालों पर अंकुश नहीं लगाई तो आने वाले समय में बस्तर में विस्फोटक स्थिति हो सकती है। तमाम जानकारी के बावजूद सरकार मौन क्यों है? कारण जो भी हो लेकिन अब सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए।