Home इन दिनों वर्तमान विधायकों का भविष्य

वर्तमान विधायकों का भविष्य

66
0

नए साल का कैलेण्डर दीवार पर लगते ही आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी शुरु हो गयी है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने ही संगठन को सक्रिय कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बयान में कहा कि जो विधायक अपने क्षेत्रों में काम नहीं करेंगे उनका टिकट कटेगा। लगभग इसी तरह की चर्चा भारतीय जनता पार्टी के भीतर भी चल रही है। वैसे तो हर चुनाव में दोनों ही राजनीतिक पार्टियों ने अपने विधायकों के टिकट काट नए लोगों को मौका दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 5 विधायकों का टिकट काटा था। जिनमें सबसे ज्यादा दुर्ग संभाग के विधायकों का टिकट कटा, जिनमें खुज्जी, मोहला-मानपुर और संजारी बालोद शामिल है। संयोग से तीनों ही विधानसभा सीट पर कांग्रेस जीतने में सफल रही। इसी प्रकार कोटा विधानसभा से डॉ रेणु जोगी का टिकट काटा था लेकिन यहां पर कांग्रेस के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे। इसी तरह 2018 में भाजपा ने भी अपने 14 विधायकों के टिकट काटे थे। इनमें से सभी नए उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल नहीं हो सके। सामान्यतौर पर ऐसा माना जाता है कि विधायकों के प्रति जनता की नाराजगी को टिकट काट चेहरा बदल देने से दूर किया जा सकता है। हालांकि यह कोई स्थापित सत्य नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने तो 2008, 2013 और 2018 में बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटे थे। लेकिन यह फार्मूला 2018 में नहीं चल पाया। भूपेश सरकार के 4 साल पूरे होने पर कुछ राजनीतिक सर्वेक्षण के परिणाम सामने आए हैं उनमें कांग्रेस के निर्वाचित 71 विधायकों में से लगभग आधे विधायकों की स्थिति अपने अपने क्षेत्रों में अच्छी नहीं है। इस लिहाज से विधायकों के प्रति नाराजगी कहीं कांग्रेस के लिए भारी न पड़े, कुछ टिकट तो काटने पडेंगे। लेकिन बड़ी संख्या में नए चेहरे उतारने से पार्टी में असंतोष बढ़ेगा। पिछले बार 5 संभाग में टिकट बांटते समय वहां के कांग्रेस नेताओं को विश्वास में लिया गया था। आगामी विधानसभा चुनाव में इस बात की अधिक संभावना है कि सरगुजा से लेकर बस्तर तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पसंद से टिकट तय किए जाएंगे। इस कारण भी कई विधायकों के टिकट कट सकते है। भाजपा के अभी केवल 14 ही विधायक है लेकिन इसमें अधिकांश वरिष्ठ और कद्दावर नेता है। जैसे कि चर्चा है कि गुजरात फार्मूले के तर्ज पर विधायकों के टिकट काटे गए तो नए चेहरों को मौका मिलेगा। वैसे तो भाजपा कैडर आधारित अनुशासित पार्टी है लेकिन टिकट काटने से नेता नाराज हुए तो इसका खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है।