Home इन दिनों धरना स्थल हटाने की मुहिम

धरना स्थल हटाने की मुहिम

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सामान्य ज्ञान के प्रश्नपत्र में अगर कोई पूछे छत्तीसगढ़ की राजधानी कहां है तो इसका उत्तर नवा रायपुर अटल नगर को माना जाएगा। लेकिन क्या वाकई नवा रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है? नया रायपुर बसाने की कल्पना प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की थी। लेकिन उनकी सरकार चली गई, इसलिए डॉ रमन सिंह की सरकार ने कुछ फेरबदल करते हुए नया रायपुर का बसाने के कार्य को आगे बढ़ाया। 2010 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों मंत्रालय और संचालनालय का उद्घाटन किया गया। इस बात को 12 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन नई राजधानी व्यवस्थित रुप से स्थापित नहीं हो सकी। अभी भी मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी पुराना रायपुर शहर में रहते है और यहीं से उनका काम भी चलता है। मंत्रालय में तो मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक कभी कभार ही जाते है। इसलिए बड़े अधिकारियों का भी काम मुख्यमंत्री का निवास कार्यालय और मंत्रियों के बंगले तक ही सीमित है। अब सवाल उठता है कि किसी व्यक्ति को सरकार के सामने अपना दुखड़ा सुनाना है तो वह कहां जाए? देश में किसी भी व्यक्ति और संगठन को अपना दुखड़ा सुनाने और सरकार का विरोध करने का अधिकार संविधान ने दिया है। रायपुर में किसी भी तरह का आंदोलन करना है तो पहले मोतीबाग के सामने एक जगह निर्धारित थी। राज्य बनने के बाद आंदोलनों की संख्या बढ़ी तो मोती बाग से वह जगह बदलकर बूढ़ातालाब के सामने कर दी गई। यहां भी अब बड़ी संख्या में शासकीय अशासकीय संगठन और नागरिक विरोध करने आंदोलन करने यहां जमा होते है। भूपेश बघेल सरकार बनने के बाद अनियमित कर्मचारी, दैनिक वेतनभोगी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित अनेक कर्मचारी संगठन यहां आए दिन प्रदर्शन करते है। स्वाभाविक है जगह छोटी पड़ती है और सड़क यातायात प्रभावित होती है। इससे परेशान होकर सदर बाजार के व्यापारियों ने इस आंदोलन स्थल को कहीं दूर ले जाने की मांग कर रहे है। रायपुर कलेक्टर ने उन्हें धमतरी रोड पर एक जगह मुहैया भी कराई है लेकिन वहां आंदोलनकारियों की आवाज कौन सुनेगा? जब हजारों की संख्या में आंदोलनकारी वहां पहुंचेंगे तो सड़क वहां भी जाम होगी। राजिम जगदलपुर मार्ग पर चलने वाले लोग और वाहन प्रभावित होंगे। सवाल धरनास्थल बदलने का नहीं है बल्कि सरकार को यह विचार करने का है कि उनके मार्फत काम करने वाले कर्मचारी लगातार आंदोलन क्यों कर रहे है? आंदोलन नहीं रोके जा सकते यह उनका अधिकार है। लेकिन सरकार इसका समाधान निकाल सकती है, यह सरकार का कर्तव्य है।