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असफलता का उत्सव बेरोजगारी भत्ता

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केन्द्र में जब नरेन्द्रमोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी तब किसी प्रसंग पर प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, यह कांग्रेस पार्टी के 50 साल की सरकार की असफलता का स्मारक है। इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेता यह कहते सुने गए है कि मनरेगा के कारण ही कोरोना काल में आम आदमी को दो वक्त की रोटी मिल पाई जिसकी आलोचना प्रधानमंत्री ने की थी। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी का आशय यह था कि अगर स्वतंत्रता के 60 साल बाद भी गांव में रोजगार गारंटी योजना बने तो यह सरकार की असफलता ही है। अभी छत्तीसगढ़ में 1अप्रैल से बेराजगारों को 2500 रूपए प्रति माह का भत्ता देना प्रारंभ किया है। अब समस्या यह है कि बेरोजगार है कौन जिसे ये भत्ता मिले तो विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री ने अनेक प्रश्नों का उत्तर देते हुए स्पष्ट किया है कि सरकार के पास बेरोजगारों का कोई आकड़ा नहीं है। सरकार का मानना है कि रोजगार पंजीयन कार्यालयों में जो पंजी होती है वह बेरोजगारों की नहीं बल्कि रोजगार चाहने वालो का पंजीयन किया जाता है। अब रोचक बात यह है कि वही सरकार और वही मंत्री फरवरी 2019 में विधानसभा के प्रश्न का उत्तर देते हुए बताते है कि प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में 23 लाख से अधिक पंजीकृत बेरोजगार है और इन पंजीकृत बेरोजगारों को भत्ता देना विचाराधीन है। अब इस मामले की जड़ विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार द्वारा जारी किया गया वह जन घोषणा पत्र है जिसमें उन्होंने युवाओं से वादा किया था कि छत्तीसगढ़ के 10 लाख युवाओं को राजीव मित्र योजना के तहत रोजगार दिया जाएगा जिसके अंतर्गत सामुदायिक विकास और समाजसेवी गतिविधियों में भाग लेने पर न्यूनतम 2500 रूपए प्रति माह प्रदान किए जाएंगे। विपक्ष ने जब सरकार पर युवाओं को बेरोजगारी भत्ता नहीं देने और झूठा वादा करने का आरोप लगाया तब कांग्रेस पार्टी ने कई बार जन घोषणा पत्र में ऐसा कोई वादा करने से इन्कार किया था। अब चुनाव करीब आते ही भूपेश सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देना प्रारंभ कर दिया है। 1 अप्रैल को इसके लिए उत्सव मनाया गया। क्या यह उत्सव मनाने का अवसर है? प्रदेश में सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रही है दूसरी ओर बड़ी संख्या में युवा पढ़ लिखकर तैयार है लेकिन सरकारी नौकरी पाने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है। ऐसे युवा स्व-बेरोजगार हैं अब इन्हे भी सरकार बनाए मापदण्ड पूरा करने पर बेरोजगारी भत्ता मिलेगा। और जो वास्तव में रोजगार चाहते है उन्हें बेरोजगारी भत्ता के स्थान पर रोजगार की आवश्यकता है। रोजगार देने के स्थान पर भत्ता देना यह उत्सव का अवसर नहीं हो सकता। प्रदेश में ऐसा वातावरण तैयार हो कि हर युवा को उसकी योग्यता के अनुसार सम्मानजनक मिल सके।