छतीसगढ़ के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। राजनैतिक घात प्रतिघात कांग्रेस भाजपा एक दूसरे पर करने लगे हैं। बयानों व एक्शन तथा रिएक्शन देख कर तो यही लग रहा है। राजनैतिक हमले दिनो दिन और घातक होंगे। शोध व खोजों के अनेकों माध्यम से अब मुद्दे बटोरे जायेंगें। वोटों को साधने किसी भी हद तक ऊपर – नीचे जाने से किसी भी दल को कोई गुरेज नहीं होगा। भाषा की मर्यादा भी शनै शनै ना सिर्फ क्षीण होती जाएगी बल्कि लगभग तोड़ दी जाएंगी। चुनाव पास आते ही खदान,धान,चावल से लेकर शराब और यहां तक कि गोबर में भी भ्रष्टाचार की बदबू आने लगी है। विपक्षी दल भाजपा तो खदान(कोयला), धान(चावल) , शराब तक पहुंच कर अब अब गाय के गोबर में भी भ्रष्टाचार खोजना शुरू कर चुकी है। एक ट्रेलर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के माध्यम से मंदिर हसौद के गोढी गांव में गोठान पहुंच कर टकराव की राजनीति खेल कर सत्ता को कल ही आईना दिखा दिया है। असली फि़ल्म दिखाने का काम 20 मई से भाजपाई नेतागण 10-10 गौठानों का दौरा करके करेंगें। कुल मिलाकर भाजपा की पूरी की पूरी टीम कांग्रेस सरकार को महा भ्रष्टाचारी सरकार बताने में भिड़ गई है। ऐसे ही आरोपों को दर्शा कर अभी हाल कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा सरकार को चुनाव में जोरदार पटकनी दी है। भाजपा इस फार्मूले को छतीसगढ़ चुनावों में आजमाने तैयारी करती दिख रही है। सफल होगी या नहीं होगी यह अभी कहा नहीं जा सकता। प्रयासों में कोई कमी नहीं रखी जा रही है। किसी ने पूछा था भाजपा चार साल मौन क्यों रही। शायद इसी रणनीति की तहत मौन रही होगी कि एक साथ चुनावी साल में चौतरफा हमला किया जाए। यह प्रयास अब शुरू हो भी गया है। संयोग है या सोची समझी रणनीति यह कहना मुश्किल है। ईडी के धुँवाधार सीरियल छापे पहले कोयला अब शराब को घेरे में लेकर किये जा रहे हैं। 2000 करोड़ के शराब घोटाले का खुलासा करना,प्रेस विज्ञप्ति जारी करना और कुछ लोगों का नाम लेने के साथ उनकी गिरफ्तारी कर लेना कुछ पर गिरफ्तारी की तलवार लटकाने की स्थिति बनना। तुरंत बाद भाजपा का कांग्रेस सरकार पर इसी मुद्दे पर हमलावर होने की बात व बयानबाजी तेज होने को ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि जनता भी शक की नजर से देखने लगी है। इधर कांग्रेस ने पूछा कि ईडी भाजपा के कार्यकाल के भ्रष्टाचारों पर कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है। हजारों करोड़ का नान घोटाला,हजारों के नाम राशनकार्ड से काटने पर कहा कि उनका राशन का लंबे समय तक घोटाला किया,बलौदा बाजार का एक हजार करोड़ का धान घोटाला के साथ ,करोड़ों का शराब घोटाला व अन्य गड़बडिय़ों पर ईडी मौन क्यों है ? मुख्यमंत्री ने तो यह तक कह दिया है कि स्थानीय भाजपा नेताओं के पास हमारे कामों के सामने कहने को कुछ भी नहीं है। मुद्दा विहीन भाजपा ईडी के सहारे चुनाव में फतह चाहती है। इसलिए सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रही है। जनता के बीच कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि ईडी क्यों हमारे महाधिवेशन से लेकर अब तक पीछे पड़ी है।
आजकल सबसे महत्वपूर्ण भूमिका में सभी दलों के प्रवक्तागण आ गए हैं। आये दिन होने वाले टीवी डिबेट में एक दृश्य लगभग बार बार दोहराया जा रहा है। भाजपा के प्रवक्ता कहते हैं कांग्रेस सरकार व उसका मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारी है। कांग्रेस के प्रवक्तागन कहते हैं 15 साल भाजपा की सरकार व उनके मुख्यमंत्री भयानक भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। ये कहते है कि उन्होने करोड़ों का घोटाला किया वे कहते हैं कि इन्होंने करोड़ों का घोटाला किया। अब टीवी डिबेट की श्रोता जनता बिचारी किसकी बात माने। कौन भ्रष्टाचारी है कौन नहीं। सोचने लगती है कि क्या हर साख पर ….. ही बैठे है क्या ? अब अंजामें गुलिशतां क्या होगा? भला हो इन प्रवक्ताओं का जिन्होंने हमारी आंखें खोल दी कि जिन्हें हम उम्मीदों के साथ चुनकर सरकार बनाने भेजते हैं। गद्दी पर बैठते ही वे घोटाले करने लगते हैं। चाहे ये हों या वो हों ,या कोई और? ये क्या तमाशा है ? अब हम भरोसा करें तो किस पर करें? जनता यह सोच कर ही परेशान है। सोचती है कि क्या हमारे टैक्स का पैसा खर्च करने का हम जो अधिकार इन नेताओं को उन्हें चुनाव में चुनकर दे देते हैं। क्या ये इनकी पैतृक संपत्ति है जो भ्रष्टाचार करने की हिम्मत इनमें आ जाती है। दूसरी बात यह कि हम अपने राज्य की ही बात करें तो छतीसगढ़ में 20 सालों से सभी सरकारों व उनके मुखियाओं पर लगे करोड़ों के घोटाले के आरोपों में हमने आजतक एक नेता को भी सजा पाते नहीं देखा। सभी कहते हैं कि हमारी जेब में सबूत है, समय आने पर उसका जनता के बीच खुलासा करेंगें आजतक खुलासा नहीं देखा है। वो समय भी आते नहीं देखा। जनता सोच रही है कि क्या हम सब मूर्ख समझे जा रहे हैं। सरकारें बनने के बाद अगर सभी एक राह पर अपने सिस्टम के दबाव में काम करने मजबूर हो जाते हैं,तो फिर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपों के मायने क्या हैं। शायद सिर्फ सत्ता पाने एक दूसरे को बदनाम करने का साधन मात्र हैं। सत्ता पाने के बाद आपको भी वही करना है ,जो वे कर रहे थे , तो आरोप प्रत्यऱोप करना व अपने ही राज्य सरकारों को बदनाम करना बंद करिए। सत्ता पाने के कोई और रास्ते ढूँढिय़े।