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नोटबंदी के साइड इफेक्ट

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सन 2016 के बाद एक बार फिर आखिर नोटबंदी हो गई।तब एक हजार के नोट बंद हुए थे, इस बार दो हजार के नोट बंद कर दिए गए। एक हजार के नोट बंद करके दो हजार के नोट जारी किए गए थे। व्यक्तिगत तौर पर देखें तो उस समय सरकार का निर्णय मुझे कुछ अजीब लगा था। क्योंकि जितने नोट बैंकों में जमा हुए, लगभग उतने नोट देश में पहले से ही उपलब्ध थे। कहीं कोई काला धन समझ में नहीं आया। लेकिन इस बार की नोटबंदी-2 के बाद सही मायने में समझ में आएगा कि देश में धनिकों ने कितना काला धन जमा करके रखा हुआ था । इस बार की नोटबंदी को लेकर आमआदमी बिल्कुल चिंतित नहीं है। वह बैंकों के चक्कर नहीं लगाएगा। हाँ, जो सेठ साहूकार है, उनके पास दो हजार के नोटों की गड्डियां भरी पड़ी हैं, उनके सामने चिंता होगी कि कैसे उसे वापस किया जाए क्योंकि आरबीआई ने नियम यही बनाया है कि एक बार में सिर्फ दस नोट ही जमा हो सकेंगे। यानी बीस हजार। अब जिनके पास दो हजार की अनेक गड्डियाँ हैं, वे बेचारे कितने दिनों तक अपने किसी मातहत को भेज करके नोट जमा करवाएंगे। सौ की एक गड्डी जमा करने में दस दिन लगेंगे। बेचारे रोज दो हजार के दस-दस नोट जमा करते-करते थक जाएंगे। ऐसे ही लोग सरकार को कह रहे हैं कि तुगलकी फरमान है। जबकि यह कोई तुगलकी फरमान नही है। दरअसल दो हजार के नोटों के चलन की स्थिति को देखकर निर्णय लिया गया, क्योंकि धीरे-धीरे ये नोट चलन से बाहर होते गए थे। आरबीआई ने 2018 के बाद से छापना भी बंद कर दिया था। आरबीआई ने उसी समय संकेत दे दिया था कि दो हजार के नोट चार पांच साल तक की चलन में रहेंगे। एटीएम से भी पैसे निकालते वक्त दो हजार के नोट निकलते नहीं थे। पाँच सौ या सौ-दो सौ के निकला करते थे। लेकिन अब ये नोट एटीएम से नहीं,नंबर दो की कमाई करने वालों के “पेटीएम” से यानी पेट से; यानी तिजोरी से निकलेंगे। इस समय देश का सारा काला धन या तो सत्ता में बैठे कुछ भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के पास है या भ्रष्ट अफसरों के पास है। व्यापारी तो व्यापारी होते हैं। व्यवसाय करते हैं, तो स्वाभाविक तौर पर उनके पास दौलत जमा होती है, मगर अनेक भ्रष्ट अफसर तो सिर्फ नौकरी करते हैं। उसके एवज में उनको वेतन मिलता है, मगर ये पापी करोड़ों-अरबों कहां से जमा करत लेते हैं? ऐसे पापियों को ही बड़ी तकलीफ होगी। कुछ मंत्री, विधायको या नेताओं को भी होगी। इसीलिए उन सब को यह तुगलकी फरमान लग रहा है। जबकि सबको पता था कि आज नहीं तो कल दो हजार के नोट बंद होंगे ही। इसलिए आम लोग खुश हैं कि अब दबा हुआ काला धन निकलेगा। या फिर अंतत: रद्दी कागज की तरह जलाया जाएगा। नोटबन्दी-2 के इस निर्णय से, मुझे लगता है कि केंद्र सरकार की साख गिरी नहीं, और बढ़ी है। उसने बहुत सही समय पर फैसला लिया है। कुछ महीने बाद कुछ राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं। अगले साल लोकसभा का चुनाव। अफ़सोस ये नोट अब काम मे नहीं आएंगे। इसलिए उनको बड़ा झटका लगेगा जिन्होंने अपने तहखानों में गड्डियाँ-ही-गड्डियाँ जमा कर रखी थी। बहरहाल, विनोद में एक बात कहूँगा कि अब सरकार को चाहिए कि वह एक हजार के नोट को वापस लाए और उसका कलर गुलाबी कर दे। ताकि लोगों को दो हजार के नोट की फीलिंग तो होती रहे। लेकिन गम्भीरता के साथ यह सुझाव भी है कि अब जो निर्णय करे, सोच विचार कर करे। बार-बार अपनी मुद्राओं के साथ प्रयोग उचित नहीं। हालांकि दो हजार के नोट बंद करने का साइड इफेक्ट अब शायद यह होगा कि लोग घरों में पाँच सौ रुपये के नोट भी जमा कर कर के रखने की आदत से बाज आएंगे, अब लगभग सारा धन उनका बैंकों में ही जमा होगा।इस डर से कि क्या पता कल को अचानक पाँच सौ के नोट को भी बंद करने की घोषणा हो जाए। हालांकि शायद ऐसा न हो, पर सरकार तो सरकार है, और मोदी हैं, तो कुछ भी मुमकिन है!