Home मेरी बात मानव स्वभाव की बलिहारी…

मानव स्वभाव की बलिहारी…

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जि़ंदगी के दाँव-पेंच कई बार हम समझ नहीं पाते। लोगों की मानसिकता को भी समझ पाना बड़ी टेढ़ी खीर होती है । कभी-कभी जो बात हम नहीं कहते, वह बात भी कोई एक शख्स तीसरे व्यक्ति को बता कर आपस में कटुता पैदा करने का काम कर देता है। सभी ऐसे नहीं होते। लेकिन एक-दो लोग भी ऐसे निकल आते हैं, तो सज्जनों को बड़ी तकलीफ होती है । अभी पिछले दिनों एक सज्जन बहुत दुखी होकर मुझे एक व्यक्ति के बारे में बताने लगे कि वह अजीब किस्म का व्यक्ति है। मैंने अपने परिचित की लड़की के बारे में उनसे कोई गलत बात नहीं कहीं, फिर भी उसने उस लड़की के पिता से मेरी शिकायत करते हुए कहा कि वह तो आपकी लड़की के बारे में गलत बात कर रहा था । यह सुन कर लड़की का पिता मुझसे नाराज हो गया। उसने बात करना बंद कर दिया। अगर वे मुझसे सीधे पूछ लेते कि क्या आपने ऐसा कहा था,तो बात स्पष्ट हो जाती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, और सुनी-सुनाई बात पर यकीन करके मेरे प्रति गलत धारणा बना ली। बहुत दिनों तक जब वह मुझसे नहीं मिला, तो मैं उसके घर चला गया। तब उसने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आप मेरी बच्ची के बारे में फलाने से कुछ गलत बातें कह रहे थे। उनकी बात सुनकर मैं दंग रह गया, फिर मैंने ईश्वर की सौगंध खाते हुए उनसे कहा कि आपकी बेटी मेरी बेटी की तरह है। उसके खिलाफ मैं सपने में भी कोई गलत बात सोच नहीं सकता। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर उन्होंने वह बात कैसे कह दी, जो मैंने कही ही नहीं!
मित्र की बात सुनकर मुझे बड़ा दु:ख हुआ। मुझे भी अपने साथ बीती एक घटना याद आ गई, जिसमें लगभग इसी तरह का वाकया हुआ था। एक बार एक सज्जन के साथ बैठकर मैं वर्तमान समय की विसंगतियों की बात कर रहा था। जैसे आजकल कुछ लड़कियां खाना नहीं बनाती।.. रसोई में जाना उन्हें बोर काम लगता है, जबकि एक दौर था माता-पिता बच्चों को बचपन से ही खाना बनाने में निपुण कर देते थे।.. आदि आदि। अपनी बात करके मैं चला गया मगर बाद में वे सज्जन मुझसे नाराज हो गए। एक बार मिले तो कहने लगे कि ”उस दिन आपने मेरे घर आकर मेरी बेटी के बारे में कुछ गलत बात कह दी थी,आपने यह ठीक नहीं किया। मैंने ज़वाब दिया कि ”आपकी बेटी के बारे में तो कोई गलत बात नहीं की। मैं तो एक सामान्य बात कर रहा था। मेरी बात सुनकर सज्जन ने कहा, मैं सब समझता हूं। आपने मेरी बेटी के बारे में ही कहा था। मैं नादान नहीं हूं। मैंने उन्हें लाख समझाया कि आप गलत सोच रहे हैं। मैंने आपकी बेटी का नाम ही नहीं लिया,जनरल बात कर रहा था, तो भला आपको ऐसा क्यों लगा कि आपकी बेटी के बारे में कुछ कह रहा हूँ। मैंने तो आपकी बेटी से कभी मुलाकात नहीं की। उसके बारे में कुछ जानता भी नहीं, वह खाना बनाना जानती है, या नहीं जानती या कुछ और बात, ऐसे में भला मैं उसके बारे में कोई टिप्पणी कर सकता हूं? लेकिन सज्जन अपनी बात पर अड़े रहे कि आपने मेरी लड़की के बारे में ही मुझसे कहा था। वो दिन और आज का दिन, सज्जन मुझसे बात ही नहीं करते।
कल मित्र ने जब मुझसे ही मिलती-जुलती उक्त घटना बताई तो मैं सोच में पड़ गया कि कभी-कभी कुछ लोगों का स्वभाव बिल्कुल समझ से परे क्यों हो जाता है। वे अपने मन से ही किसी की बात का गलत अर्थ क्यों निकाल लेते हैं या अपने ऊपर ही क्यों ले लेते हैं। पुरुष हो या स्त्री, कभी-कभी कुछ लोग ऐसी हरकत कर देते हैं कि चकित हो जाना पड़ता है। एक बार की बात है। एक मित्र से मिलने की इच्छा हुई, तो सोचा पहले फोन करके बात कर लूँ लेकिन उसका फोन लगा नहीं। फिर सोचा, अकसर वह दोपहर को घर पर ही मिलता है,तो सीधे घर ही पहुँच गया, लेकिन उस वक्त वह घर पर नहीं था। उनकी पत्नी ने बताया कि ”ये बाजार गए हैं। कुछ देर बाद आएंगे। मैं फौरन उठ गया और बोला, ठीक है, कुछ देर बाद फिर आ जाऊंगा। मेरी बात सुनकर उनकी पत्नी ने कहा, अरे, कुछ देर बैठिए। लस्सी बना कर लाती हूँ। मैंने मना किया लेकिन उनके दुबारा आग्रह पर बैठ गया और लस्सी पी कर लौट आया। शाम को मित्र मेरे घर पहुंच गए। कहने लगे, भाई, तुम घर आए थे। मैं घर पर नहीं था तो मेरी पत्नी ने तुमसे कहा कि इस वक्त मैं घर पर नहीं हूं, इसलिए आप बाद में आना। लेकिन तुम घर नहीं आए। मैंने सोचा कि तुम पत्नी की बातों से नाराज़ हो गए, इसलिए मिलने चला आया। मित्र की बात सुनकर मैं चकित कि उनकी पत्नी ने पति को यह क्यों नहीं बताया कि उसने आग्रह के साथ मुझे बैठने के लिए कहा, फिर लस्सी भी पिलाई। शायद उसने यह सोच कर सच बात नहीं बताई होगी कि पत्नी की बात सुनकर पति नाराज भी हो सकते थे कि मेरी गैरहाजिरी में किसी को बिठाना और लस्सी पिलाना ही क्यों। इसलिए मैंने लस्सी पिलाने वाली बात बताई ही नहीं। बस, चुपचाप मित्र की बात सुनता रहा, फिर कहा, ?से ही कुछ जरूरी काम आ गया था इसलिए दोबारा नहीं आ सका। चलो अच्छा हुआ, तुम तो आ गए। ऐसे लोगों की दुरंगी या झूठी बात बनाने की मानसिकता परेशानी में डाल देती है।