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दुबई से प्रेरणा लेने की ज़रूरत

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मेरे मन में देशप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी है। लेकिन जब कभी विदेश-प्रवास पर जाता हूँ तो अपने देश के विकास की धीमी और अनगढ़ गति को देख कर दु:ख होता है। चीन की आबादी हमसे अधिक है, पर आधुनिक विकास के मामले में वह काफी आगे है। यह और बात है कि रक्षा मामलों में हम उस से बहुत आगे हैं। लेकिन अपना शहरी-ग्रामीण विकास सन्तोषप्रद नहीं है। अभी-अभी सपरिवार दुबई भ्रमण से लौटा हूँ । इस देश की निरन्तर प्रगति चकित कर देती है। बीस साल पहले भी दुबई आया था, उस समय भी यह चमकदार था मगर अब तो और अधिक हो गया है। दुबई की मंशा यही रहती है कि दुनिया में जो कुछ भी श्रेष्ठ हो, वह दुबई में भी हो लेकिन और उन्नत और भव्य , ताकि लोग यहाँ पर्यटन के लिए आते रहें। इस दृष्टि से दुबई ने योजना बनाई और रेगिस्तान को सपनों के शहर में तब्दील कर दिया। पिछले बीस वर्षों में उसने ऐसी तरक्की की है कि आज यह दुनिया का नम्बर एक देश है। किस किस दर्शनीय स्थलों का उल्लेख करूँ। गूगल करके भी आम पाठक को सूचना? मिल जाएंगी मगर मैं कागज लेखी नहीं, आँखिन देखी विकास की बात कर रहा हूँ । यहाँ का वाटर पार्क अद्भुत है। उसे गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है। यहां दुनिया भर से आए बच्चे, बूढ़े और महिलाएं घटों जल-क्रीड़ा करते हैं। साठ से अधिक तरह की गतिविधियां हैं। मिरेकल गार्डन के असंख्य फूलों को देख कर मन प्रसन्न हो जाता है। गगनचुंबी भवनों के मामले में दुबई ने अमरीका और चीन आदि को पीछे छोड़ दिया है। दुबई की बुर्ज खलीफा बिल्डिंग दुनिया में सबसे ऊँची है । 164 मंजिल है। हम केवल 142 मन्जि़ल तक ही जा सके। वहाँ से रात को नीचे रंग-बिरंगे प्रकाश में डूबे दुबई को देखना रोमांचित कर रहा था। दुबई ने अपने रेगिस्तानों का सुंदर उपयोग किया है। उसे डेजर्ट सफारी में बदल डाला। चारों तरफ रेत-ही-रेत है, जिसमें बड़ी-बड़ी गाडिय़ां तेजी से चलती हैं। बैठने वाले को लगता है, गाड़ी अब पलटी कि तब पलटी। बीस साल पहले जिप्सी चलती थी, अब उससे बेहतर कारें उपयोग में लाई जाती हैं। कार में सैर कराने के बाद वहाँ बने कैम्पों में दुबई की संस्कृति को दर्शाने वाले कार्यक्रम होते हैं। सबको भोजन भी कराया जाता है। दुबई में विश्व का सबसे बड़ा फिश एक्वेरियम है। यहां तरह-तरह की मछलियां देखने को मिलती हैं। यहाँ शार्क भी नजऱ आती है। यहाँ अनेक बड़े एक्वेरियम हैं कि लोग उसके भीतर समुद्री पोशाक पहनकर घूमते हैं। दुबई मॉल भी दुनिया का सबसे बड़ा मॉल है। यहाँ बाज़ार के अलावा फिश एक्वेरियम तथा कुछ दुर्लभ जीव जंतुओं को रखा गया है। दुबई की राजधानी अबुधाबी और शारजाह भी बेहद खूबसूरत है। शरजाह में तो बड़े बड़े आयोजन होते ही रहते हैं। पूरा दुबई हाईटेक है। अबुधाबी में हरियाली विकसित की गई है। दुबई की राजधानी अबुधाबी में गगनचुंबी भवन कम हैं,मगर पूरा शहर देखने लायक है। यहाँ का फेरारी वर्ल्ड कल्पनातीत है। एस्सेल वर्ड इसके आगे कुछ भी नहीं। यहां तरह-तरह के रोलर कोस्टर हैं, जो रोमांच से भर देते हैं । इन पंक्तियों के लेखक ने एक ऐसे रोलर कोस्टर का आनंद लिया जो 240 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है। पलक झपकते ही! हम सांस लेते हैं, तब तक वह काफी आगे निकल जाता है,सोच लीजिए रफ्तार । यहाँ की भव्य विशाल मस्जिद को पूरा देखने में लगभग एक घण्टे लगते हैं। उसके भीतर की नक्काशी, साज-सज्जा चमत्कृत कर देती है। अबुधाबी में अब सी-वर्ल्ड विकसित किया जा रहा है, जहाँ समुद्र के भीतर की खूबसूरती को जीवंत किया जाएगा। दुबई में तो कृत्रिम सागर तट ( सी-बीच) विकसित किया जा चुका है। जहाँ क्रूज़ चलते हैं। म्यूजिय़म ऑफ फ्य़ूचर तो आम लोगों की कल्पना से परे है। सात मंजिला इस संग्रहालय में भविष्य की दुनिया कैसी होगी, इसे दर्शाया गया है। जैसे आने वाले वर्षों में कुछ जीव-जंतु लुप्त हो जाएंगे। उनके विकल्पों पर कार्य हो रहा है। यहाँ एक स्त्री रोबोट ‘अमेका’ आकर्षण का केंद्र है, जो हल्की-सी मुस्कान बिखेरती है। अँग्रेज़ी में पूछे गए सवालों के लगभग सही जवाब देती है। मैंने भी दो प्रश्न किए जिसके सटीक उत्तर मुझे मिले। बेटे ने पूछा, मुझसे शादी करोगी तो वह बोली मैं कम्प्यूटर से शादी कर चुकी हूँ। इस देश ने सागर के बीच से पाँच किलोमीटर का टनल बना डाला है। ग्लोबल विलेज में भारत सहित अनेक देशों के स्टॉल लगे हैं, जहाँ उस देश का खानपान और संस्कृति के दर्शन होते हैं। कुल मिला कर पूरा दुबई दर्शनीय है। कहीं कोई गन्दगी नजऱ नहीं आती। किसी भी वाहन का हार्न नहीं बजता। सबकी गति नियंत्रित है। यातायात व्यवस्थित है। यहाँ पुलिस बहुत कम दिखती है। पुलिस की भूमिका नगण्य है। उसकी ज़रूरत भी नहीं पड़ती। पूरा सिस्टम से ख़ुफिय़ा कैमरों से लैस है। इसलिए भी शायद लोग अनुशासित हैं। यहाँ अपराध न्यून है। हत्या, बलात्कार जैसी घटनाएँ नहीं सुनाई देती। व्यवसाय भी पूरी ईमानदारी के साथ होता है। दुबई के मूल नागरिकों के लिए शिक्षा, चिकित्सा, बिजली-पानी सब मुफ्त है। घर बनाने ले लिए लोन पर उन्हें ब्याज नहीं देना पड़ता। और क्या चाहिए किसी देश के नागरिक को! हमारे यहां भ्रष्टाचार इतना भयंकर है कि मत पूछिए। उन्नत विकास एक सपना ही बन गया है। मिलावट, रिश्वतखोरी और नम्बर दो की कमाई में अनेक लोग लगे हैं। देश की कोई चिंता नहीं। एक बड़ी आबादी गरीबी भोग रही है। अपराधों की कोई गिनती ही नहीं। सत्ताधारी और अफसर मिलजुल कर गंदा खेल करते हैं इसलिए कोई बड़ा विकास आकार नहीं ले पाता। निर्माण कार्य भी होते हैं तो कमीशनखोरी पहले होती है। दरअसल हमने अपने महान लोकतंत्र का दुरुपयोग किया है। इसमें दो राय नहीं कि देशप्रेम कम होता जा रहा है, वरना इतनी खराब स्थिति न होती। अपने देश को दुबई के मुकाबले में लाने के लिए ईमानदार संकल्प और महान नेताओं की ज़रूरत है। तमाम कमियों के बावजूद अपना देश महान है। फिलहाल इतना ही।